कश्मीर यूनिवर्सिटी के PRO सहित 3 स्टाफ टर्मिनेट, ISI और PAK आतंकी समूहों के साथ कर रहे थे काम: सूत्र
श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ सक्रिय रूप से काम करने, रसद मुहैया कराने और आतंकी विचारधारा को बढ़ावा देने, उनके लिए धन जुटाने और अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) फहीम असलम, राजस्व विभाग के अधिकारी मुरवत हुसैन मीर और पुलिस कांस्टेबल अर्शीद अहमद थोकर को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर की गई कड़ी जांच-पड़ताल के बाद स्पष्ट रूप से यह साबित होने के बाद कि वे पाकिस्तान आईएसआई और आतंकवादी संगठनों की ओर से काम कर रहे थे, प्रशासन ने भारत के संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल करते हुए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया.
जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, फहीम असलम को अगस्त, 2008 में एक आतंकवादी-अलगाववादी सरगना द्वारा कश्मीर विश्वविद्यालय में एक संविदा कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में उसे नियमित कर दिया गया. अलगाववादी-आतंकवादी अभियान को जीवित रखने के लिए उसे विश्वविद्यालय द्वारा मीडिया रिपोर्टर के रूप में नामित किया गया था क्योंकि विश्वविद्यालय परिसर को अलगाववादी सक्रियता और आतंकवाद को जन्म देने के लिए एक अहम केंद्र के रूप में भी जाना जाता था. सूत्रों ने कहा कि फहीम की नियुक्ति बिना किसी सार्वजनिक विज्ञापन, साक्षात्कार और पुलिस सत्यापन के की गई थी. फहीम असलम, जो सार्वजनिक रूप से अलगाववादी-आतंकवादी प्रचारक के रूप में जाना जाता था… ग्रेटर कश्मीर में उसके लेख और सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर यह स्पष्ट रूप से जाहिर होता है कि उसकी वफादारी पाकिस्तान के साथ है.
अर्शीद अहमद थोकर को जम्मू-कश्मीर पुलिस में एक कांस्टेबल के रूप में भर्ती किया गया था, पहले 2006 में सशस्त्र पुलिस में और बाद में 2009 में कार्यकारी पुलिस में. लेथपोरा पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में अपना बेसिक भर्ती प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (बीआरटीसी) पूरा करने के बाद, उन्होंने अपना ट्रांसफर श्रीनगर में करा लिया और अधिकतर समय विभिन्न पुलिस/सिविल अधिकारियों और सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों के साथ पीएसओ/ड्राइवर के रूप में जुड़े रहे. मुरवत हुसैन मीर को 1985 में राजस्व विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था. 1990 में जैसे ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी और अलगाववादी अभियान जम्मू-कश्मीर में शुरू हुआ, वह आतंकवाद में पूरी तरह से शामिल हो गया. वह न केवल वैचारिक रूप से अलगाववादी मिथकों का कट्टर समर्थक बन गया, बल्कि वह हिजबुल मुजाहिदीन जैसे कई प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के लिए एक प्रमुख व्यक्ति भी था. हिजबुल मुजाहिदीन और जेएंडके लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को पंपोर के तहसील कार्यालय के मामलों में दखल करने की खुली छूट दी गई.
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!