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Scindia ने Tweet कर बताया कि उनके किस पूर्वज ने कराया महाकाल का जीर्णोद्धार और शुरू करवाया सिंहस्थ , आखिर कौन थे राणो जी महाराज

Scindia ने Tweet कर बताया कि उनके किस पूर्वज ने कराया महाकाल का जीर्णोद्धार और शुरू करवाया सिंहस्थ , आखिर कौन थे राणो जी महाराज

ग्वालियर : केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विट कर अपने पूर्वज राणोजीराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी है। सिंधिया ने ट्विट के माध्यम से उनके बारे में बताया है कि किस तरह उन्होंने महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था और सिंहस्थ को उज्जैन में शुरूवात करवाई थी। 

 

यह लिखा है ट्वीट

 

सिंधिया ने ट्वीट में लिखा है कि  कि विदेशी आक्रांताओं से बचाने हेतु कोटि तीर्थ कुंड उज्जैन में रखे महाकाल ज्योतिर्लिंग को निकाल, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का जीर्णोद्धार कराने वाले, सिंहस्थ कुंभ को अपनी राजधानी उज्जैन में फिर से शुरू कराने वाले, सनातन धर्म रक्षक, मुग़लों, पुर्तगालियों और देश के अन्य दुश्मनों को परास्त करने वाले, मेरे शूरवीर पूर्वज श्रीमंत महाराज राणोजीराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर उन्हें मेरा कोटि कोटि प्रणाम।

 

कौन थे राणो जी राव

 

राणोजीराव सिंधिया पेशवा बाजीराव के बाल सखा था और उन्हाेंने उनके साथ करीब 40 युद्ध किए थे और जीतकर शिवाजी महाराज का भगवा फहराने का स्वप्न पूरा किया था। बचपन से ही बाजीराव के सभी अभियानों में राणोजी साए की तरह साथ रहते थे। पुणे के अभियान से वापस लौटते समय बाजीराव पेशवा, राणोजी शिंदे को मध्य भारत में शाहू जी महाराज के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त करके चले गए थे। राणोजी सिंधिया ने उज्जैन को अपना मुख्यालय बनाया और यहीं से पूरे मध्य भारत में भगवा ध्वज के तले मुगलों द्वारा नष्ट की गई धर्म एवं संस्कृति की स्थापना की। 

 

कई युद्धों में दिया था शौर्य का परिचय

 

राणोजीराव सिंधिया ने कई युद्धों में अपने शौर्य का परिचय दिया। मालवा एवं मध्य भारत में कई विकास कार्य कराए परंतु सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मुगलों द्वारा नष्ट कर दी गई हिंदू धर्म एवं संस्कृति को फिर से समृद्ध बनाया। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि उज्जैन में जिस मंदिर को नष्ट किया गया था वह ज्योतिर्लिंग है, तो उन्होंने तत्काल भव्य मंदिर के निर्माण का आदेश दिया। आज भी उज्जैन में जिस मंदिर के दर्शन होते हैं वह राणोजीराव सिंधिया द्वारा बनवाया गया है।राणोजीराव सिंधिया ने जब उज्जैन को अपना मुख्यालय बनाया तो उन्हें पता चला कि मुगलों ने किस प्रकार भारतीय परंपराओं को हमेशा के लिए खत्म कर देने की साजिश रची थी। लगातार 500 साल तक सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन नहीं हुआ था। राणोजीराव सिंधिया ने सुनिश्चित किया कि ना केवल सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन होगा बल्कि यह भारत का सबसे भव्य आयोजन होगा।

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