देश में Electoral bonds चर्चा में....दुनिया के देशों में राजनीतिक चंदा का यह सिस्टम
नई दिल्ली। देश में चुनावी मौसम के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड चर्चा में है। हालांकि, दुनिया के तमाम देशों में भी राजनीतिक चंदा लेने की योजनाएं देखी जाएं तब आसान प्रक्रिया कहीं नहीं है। कई देशों में आज भी राजनीतिक चंदे को लेकर चर्चा और बहस देखने को मिलती है। कुछ देशों में व्यक्तिगत दान की अनुमति है। कुछ देशों में कॉर्पोरेट दान की अनुमति है। कुछ देशों में चुनाव अभियानों में फंडिंग के लिए सरकारी खजाने का भी प्रावधान है। एक समूह ने 172 देशों के चुनावी चंदे का विश्लेषण किया है। इसमें से 48 देशों में निगमों से राजनीतिक दलों को सीधे मिलने वाले फंड पर प्रतिबंध है। यानी 48 देशों में कॉर्पोरेशंस से राजनीतिक फंड सीधे पार्टियों को नहीं दिया जा सकता है। लेकिन बाकी 124 देशों में ऐसा हो सकता है। वहीं, निगमों द्वारा निजी आय भारत में सीधे राजनीतिक दलों को दान कर सकते है। जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ब्राजील या रूस में ऐसा नहीं किया जा सकता है।
हालांकि, कई देशों में राजनीतिक फंड हासिल करने के लिए अन्य अप्रत्यक्ष प्रावधान भी हैं। अमेरिका में पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (पीएसी) या राष्ट्रपति चुनाव अभियान कोष इलेक्शन कैंपेन में इस्तेमाल होने वाले फंड की व्यवस्था करते हैं। संघीय चुनाव आयोग को रेगुलेट करता है। ये संगठन हैं जो उम्मीदवारों को चुनने या हराने के लिए फंडिंग करते हैं और खर्च करते हैं। इन्हें कॉर्पोरेशन, लेबर यूनियन, सदस्यता संगठनों या व्यापार संगठनों द्वारा संचालित किया जाता है। इसके अलावा, क्वालिफाइड प्रेसिडेंसियल कैंडिडेट राष्ट्रपति चुनाव अभियान फंड से चंदा हासिल करने का विकल्प चुन सकते हैं, जो अमेरिकी ट्रेजरी की बुक्स पर एक फंड है। एफईसी यह निर्धारित करके पब्लिक फंडिंग प्रोग्राम का प्रबंधन करता है कि कौन से उम्मीदवार फंड हासिल करने के पात्र हैं। चुनावों के बाद एफईसी प्रत्येक पब्लिकली फंड कमेटी का ऑडिट करती है। चूंकि राजनीतिक फंडिंग में दुरुपयोग की संभावना रहती है, इसलिए फंड को औपचारिक बैंकिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा। लेकिन 163 देशों में से 79 देशों में राजनीतिक फंड के लिए औपचारिक बैंकिंग प्रक्रिया से गुजरना जरूरी नहीं है, जबकि 67 देशों में यह अनिवार्य है। भारत और रूस सहित 17 देशों में राजनीतिक फंड कभी-कभी बैंकिंग प्रक्रिया के जरिए आते हैं।
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