China में बेरोजगारी के चलते हिंसक हो रहे युवा, कुछ दिनों में 43 की हत्या
बीजिंग। चीन में अर्थव्यवस्था में मंदी के हालात के चलते युवा वर्ग में हताशा बढ़ती जा रही है। बीते कुछ सालों में चीन की अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग से लेकर आवास क्षेत्र में गिरावट देखी गई है। इससे न केवल बेरोजगारी बढ़ी है, बल्कि युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरियां भी नहीं मिल रही हैं, जिससे वे मानसिक तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। चीन के आर्थिक संकट की वजह से वहां के युवा निराश हो गए हैं। नौकरी की कमी और आर्थिक कठिनाइयों के चलते कुछ युवाओं ने हिंसा तक की घटनाओं को अंजाम दिया। हाल ही में पूर्वी चीन में एक युवक ने अपनी नौकरी से परेशान होकर चाकू से हमला कर आठ लोगों की हत्या कर दी और 17 अन्य को घायल कर दिया। इसी तरह की एक दूसरी घटना में दक्षिणी चीन के झुहाई में एक व्यक्ति ने अपनी कार से एक भीड़ को रौंद दिया, जिससे 35 लोग मारे गए और 43 घायल हुए। अक्टूबर में शंघाई के सुपरमार्केट में चाकूबाजी की घटना भी इसी तरह की एक दुखद घटना थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी। इन घटनाओं के पीछे मुख्य कारण युवाओं का मानसिक तनाव और डिप्रेशन है, क्योंकि वे अपनी शिक्षा और योग्यता के अनुसार उचित नौकरी पाने में असमर्थ हैं।
इस स्थिति को देखते हुए चीन की सरकार ने आगामी पांच वर्षों में 1.4 ट्रिलियन डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है। यह पैकेज भारत की कुल अर्थव्यवस्था का लगभग 40 प्रतिशत है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह राहत पैकेज पर्याप्त नहीं है और सरकार को और प्रयास करने चाहिए। आर्थिक वृद्धि में ठहराव चीन में बीते तीन दशकों में आर्थिक वृद्धि की दर बहुत तेज रही, लेकिन अब आर्थिक वृद्धि में ठहराव आ चुका है, जिसके कारण रोजगार के अवसर भी कम हो गए हैं। इस संकट को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को और राहत पैकेज जारी करने की आवश्यकता है, ताकि अर्थव्यवस्था को पुनः गति मिल सके और युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकें। चीन की सरकार को अपनी आर्थिक नीतियों में बदलाव की जरूरत है ताकि वह अपनी युवा आबादी को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा सके और हिंसा की घटनाओं में कमी आ सके।
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