किशोरों में Gaming की लत से बढ़ रही अवसाद और आक्रामकता की समस्या, शोध में हुआ खुलासा
सिडनी। किशोरों में अत्यधिक गेमिंग की आदत मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। विक्टोरिया के एक जांचकर्ता पारेसा स्पैनोस द्वारा किए गए एक ताज़ा शोध में यह चिंताजनक खुलासा हुआ है। शोध में यह दावा किया गया है कि किशोरों में गेमिंग की लत अवसाद और आक्रामकता को बढ़ावा दे सकती है और यह मूड डिसऑर्डर का कारण भी बन सकती है। स्पैनोस ने यह शोध ऑस्ट्रेलिया के 14 वर्षीय छात्र ओलिवर क्रोनिन की 2019 में हुई असामयिक मृत्यु के संदर्भ में किया, जहाँ ओलिवर की वीडियो गेमिंग की लत ने उसके मानसिक और व्यवहारिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। शोध के अनुसार, अपनी मृत्यु से पहले के अंतिम 12 महीनों में ओलिवर अत्यधिक गेमिंग का आदी हो गया था, जिसके कारण उसमें लगातार गुस्सा, चिड़चिड़ापन और आक्रामकता के लक्षण बढ़ते गए। कई बार उसके माता-पिता ने उसकी गेमिंग की आदत को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन इन प्रयासों के बाद ओलिवर का व्यवहार और भी उग्र हो गया। उसने परिवार के सदस्यों के साथ झगड़े किए और अपने माता-पिता से हाथापाई तक करने लगा। अपनी मृत्यु के कुछ सप्ताह पहले उसने स्कूल में सहपाठियों के साथ मारपीट की, जिसके चलते उसे अस्थायी रूप से स्कूल से निलंबित कर दिया गया था। स्पैनोस ने निष्कर्ष में कहा कि ओलिवर के मामले में ‘गेमिंग डिसऑर्डर’ के लक्षण स्पष्ट थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गेमिंग डिसऑर्डर को एक मानसिक विकार के रूप में मान्यता दी है, जिसमें गेमिंग की आदत किसी व्यक्ति के दैनिक जीवन और कार्यों को प्रभावित करने लगती है। हालाँकि, विश्व स्तर पर दो अरब से अधिक लोग गेम खेलते हैं, लेकिन इनमें से केवल एक प्रतिशत से भी कम ऐसे लोग हैं जिनमें गेमिंग की लत एक मानसिक विकार का रूप ले पाती है। शोध में यह भी बताया गया है कि गेमिंग की लत और आक्रामकता के बीच संबंधों पर अब तक कोई निर्णायक प्रमाण नहीं है, परंतु आंशिक सह-संबंध अवश्य पाया गया है। हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि समस्याग्रस्त गेमिंग व्यवहार के कारण उभरने वाले नकारात्मक प्रभावों को समझने के लिए अभी अधिक शोध की आवश्यकता है। स्पैनोस का कहना है कि इस विषय में और अधिक संतुलित और गहन अनुसंधान करने की आवश्यकता है ताकि यह समझा जा सके कि गेमिंग की आदतें किस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती हैं। ऑस्ट्रेलिया में गेमिंग डिसऑर्डर के उपचार के लिए अभी तक कोई विशिष्ट गाइडलाइन नहीं हैं और न ही पर्याप्त विशेषज्ञ हैं।
स्पैनोस ने कहा कि दुनियाभर में इस बात पर भी आम सहमति नहीं है कि समस्याग्रस्त गेमिंग को विकार के रूप में कैसे वर्गीकृत किया जाए और इसका समाधान कैसे निकाला जाए। गेमिंग डिसऑर्डर का निदान करने और इसके उपचार के लिए वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की जरूरत है। इस अध्ययन के निष्कर्ष किशोरों में बढ़ती गेमिंग लत और उसके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है, जिसे गंभीरता से समझने और उसका समाधान खोजने की आवश्यकता है।
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