Dark Mode
  • Sunday, 16 November 2025
Tansen Samaroh 2023  : हरिकथा, मिलाद और चादरपोशी के साथ हुई “तानसेन समारोह” की पारंपरिक शुरूआत

Tansen Samaroh 2023 : हरिकथा, मिलाद और चादरपोशी के साथ हुई “तानसेन समारोह” की पारंपरिक शुरूआत

 

सांध्य बेला में होगा औपचारिक शुभारंभ और अलंकरण समारोह

भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण महोत्सव "तानसेन समारोह'' की  रविवार की सुबह पारंपरिक ढंग से शुरुआत हुई। यहाँ हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन हुआ। सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले तानसेन समारोह का इस साल 99वाँ वर्ष है। 

तानसेन समारोह का औपचारिक शुभारंभ आज सायंकाल हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में ऐतिहासिक मानसिंह तोमर महल की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर होगा। इसी मंच पर बैठकर देश और दुनियाँ के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे। 

रविवार की प्रात: बेला में तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खाँ एवं साथियों ने रागमय शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत श्री सच्चिदानंद नाथ जी ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तो को उजागर किया। उनके प्रवचन का सार था कि परहित से बढ़कर कोई धर्म नहीं। अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव सब एक हैं। हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है। हम सब ईश्वर की सन्तान है तथा ईश्वर के अंश भी हैं। सभी मतों का एक ही है संदेश है कि सभी नेकी के मार्ग पर चलें। उन्होंने कहा सुर ही धर्म है। जो निर्विकार भाव से गाता है वही भक्त है। ढोली बुआ महाराज ने राग " बैरागी" में तुलसीदास जी द्वारा रचित भजन प्रस्तुत किया। भजन के बोल थे " भजन बिन तीनों पन बिगड़े" । उन्होंने प्रिय भजन "रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम" का गायन भी किया। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न रागों में पिरोकर अन्य भजन भी गए।

ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मुस्लिम समुदाय से मौलाना इकबाल लश्कर कादिरी ने इस्लामी कायदे के अनुसार मिलाद शरीफ की तकरीर सुनाई। उन्होंने कहा सबसे बड़ी भक्ति मोहब्बत है। उनके द्वारा प्रस्तुत कलाम के बोल थे  " तू ही जलवानुमा है मैं नहीं हूँ"। अंत में हजरत मौहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर राज्य सरकार की ओर से सैयद जियाउल हसन सज्जादा नसीन जी द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई। इससे पहले जनाब फरीद खानूनी व जनाब भोलू झनकार  एवं उनके साथी कब्बाली गाते हुये चादर लेकर पहुंचे। कव्वाली के बोल थे ''खास दरबार-ए-मौहम्मद से ये आई चादर''। 

तानसेन समाधि पर परंपरागत ढंग से आयोजित हुए इस कार्यक्रम में कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश चंदेल, संचालक संस्कृति विभाग अदिति कुमार त्रिपाठी, जिला पंचायत के सीईओ विवेक कुमार, उस्ताद अलाउद्दीन खां कला एवं संगीत अकादमी के निदेशक जयंत माधव भिसे, ध्रुपद गुरू  अभिजीत सुखदाने सहित अन्य कलारसिक, उस्ताद अलाउद्दीन खाँ कला एवं संगीत अकादमी के अधिकारी,गणमान्य नागरिक व मीडिया प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।

Comment / Reply From

You May Also Like

Newsletter

Subscribe to our mailing list to get the new updates!