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  • Saturday, 15 November 2025
अब स्ट्रोक के प्रति जागरूकता फैलाएंगे Dhoni

अब स्ट्रोक के प्रति जागरूकता फैलाएंगे Dhoni

पुणे। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी अब स्ट्रोक की रोकथाम के लिए जन जागरूकता अभियान में अहम भूमिका निभाते हुए दिखेंगे। दवा कंपनी एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने स्ट्रोक की रोकथाम के लिए जन जागरूकता अभियान शुरू करने की घोषणा की है और इसी के लिए उसने धोनी से करार किया है। इसके तहत ही एमक्योर और धोनी एक वीडियो के ज़रिये हर किसी से स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जागरूक होने तथा स्ट्रोक की पहचान के लिए कम से कम एक व्यक्ति को शिक्षित करने और इसके बारे में जागरूकता फैलाने की अपील करते हुए दिखेंगे। अध्ययनों के अनुसार देश में हर साल 18 लाख से अधिक लोग स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं और ये उन्हें मौत और विकलांगता की ओर ले जाता है। इसलिए एमक्योर ने ब्रेन स्ट्रोक, इसके लक्षण तथा जान बचाने और अनगिनत लोगों को बेहतर परिणाम प्रदान करने के लिए समय पर इसकी पहचान में जागरूकता बढ़ाने में मदद करने का अभियान शुरु करने का फैसला किया है। इसी के लिए उसने देश और दुनिया भर मे लोकप्रिय धोनी को चुना है। ये अपनी संदेश में स्ट्रोक के महत्वपूर्ण संकेतों और इन लक्षणों के प्रकट होने पर त्वरित, निर्णायक पहल की आवश्यकता के बारे में देश को जागरूक करने में मदद करेंगे। यह अभियान बीफास्ट ((1) रुख पर केंद्रित है, जो एक सरल, याद रखने लायक संक्षिप्त नाम और स्ट्रोक के प्रमुख लक्षणों को रेखांकित करता है, जिससे लोगों के लिए इसे पहचानना और तुरंत पहल करना आसान हो जाता है।

बी का मतलब है संतुलन (बैलेंस) खोना, ई का मतलब है अचानक दृष्टि (आईसाइट) में बदलाव, एफ का मतलब है चेहरा (फेस) लटक जाना, ए का मतलब है हाथ (आर्म) की कमजोरी, एस का मतलब है बोलने (स्पीच) में कठिनाई, टी का मतलब है बिना देरी के आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए कॉल करने का समय (टाइम). धोनी इस बात पर जोर देते हैं कि जिस तरह क्रिकेट मैच में हर सेकंड मायने रखता है, उसी तरह इन संकेतों को पहचानना और आपातकालीन चिकित्सा सहायता के लिए कॉल कर तुरंत चिकित्सा शुरू करने से रिकवरी और इसके स्थायी प्रभाव से जुड़े परिणाम में काफी फर्क आ सकता है। एक विशेषज्ञ के अनसार , स्ट्रोक के इलाज में देरी से प्रति मिनट मस्तिष्क को 19 लाख कोशिकाओं का नुकसान होता है। वहीं तत्काल देखभाल से परिणामों में काफी सुधार हो सकता है। भारत में स्ट्रोक की बढ़ती घटनाओं के साथ, लोगों को जल्दी इसकी पहचान और हस्तक्षेप के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए त्वरित उपाय आवश्यक हैं।

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