NASA को दी अरोरा के बीचो-बीच रॉकेट लॉन्च करने की सलाह
- -ताकि अरोरा के सही कारणों का लगाया जा सके पता
कैलिफोर्निया। आकाश में रात के समय चमकदार हरे, लाल और बैंगनी रंग की लाइट दिखाई देती है। खगोल वैज्ञानिक इन्हें उत्तरी और दक्षिणी लाइट कहते हैं। लोगों को ये लाइट खूब पसंद आती हैं, लेकिन आसमान में ऐसी लाइट की चमकीली और सफेद धारियों को “स्टीव” और हरी लाइट को “पिकेट फेंस” कहा जाता है, लेकिन इसे अक्सर अरोरा समझ लिया जाता है। आपको बताते चलें कि ये अरोरा नहीं होते हैं, क्योंकि अरोरा की चमक अलग होती है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के भौतिकी की छात्रा क्लेयर गास्क ने बताया कि स्टीव और पिकेट फेंस’; प्रसिद्ध अरोरा के प्रक्रियाओं से बिल्कुल अलग होती हैं। गास्क ने अपने कैंपस के अंतरिक्ष विज्ञान प्रयोगशाला के साइंटिस्टों के साथ प्रस्ताव रखा है कि नासा को अरोरा के बीचों-बीच एक रॉकेट लॉन्च करना चाहिए ताकि अरोरा के सही कारणों का पता लगाया जा सके।मालूम हो कि स्टीव- स्ट्रांग थर्मल एमिशन वेलोसिटी एन्हांसमेंट का संक्षिप्त रूप है। गास्क अपने एक रिसर्च पेपर में पिकेट फेंस के पीछे के कारणों को समझाया है।
गास्क ने बताया कि, “उसने कैलकुलेट किया है कि पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल का से दूर दक्षिण में जहां अरोरा बनता है, वहां पर पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र के समानांतर स्थित विद्युत क्षेत्र पिकेट फेंस (हरें रंग का) के स्पेक्ट्रम के उत्पादन के कारण हो सकते हैं।वैज्ञानिकों ने बताया कि अरोरा की घटनाएं स्टीव और पिकेट फेंस अब तेजी से आम होती जा रही हैं। ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि सूर्य अपने सौर तूफानों और कोरोनल मास इजेक्शन के 11 साल के चक्र की सक्रिय अवधि में प्रवेश कर चुका है।
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