लगातार आफतों से जूझता बांग्लादेश
बाढ़ ने मचाई तबाही, चावल के एक एक दाने को हुआ मोहताज
ढाका। अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में भारी मानसूनी बारिश और पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाले पानी ने पूर्वी और उत्तरी बांग्लादेश में बाढ़ का गंभीर संकट पैदा किया। इस प्राकृतिक आपदा में लगभग 75 लोगों की मौत हो चुकी है, और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे चावल की पैदावार में लगभग 11 लाख टन की कमी आई है। अब हालात कुछ इस तरह के दिखाई दे रहे हैं कि आने वाले समय में बांग्लादेश चावल के एक एक दाने को मोहताज हो जाएगा। बांग्लादेश कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चावल की इस कमी के कारण खाने-पीने की वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगे हैं। इस संकट को संभालने के लिए यूनुस सरकार चावल के आयात पर जोर दे रही है, लेकिन बांग्लादेश अब पूरी तरह से भारत पर निर्भर हो गया है। भारत, दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक, बांग्लादेश की इस आवश्यकता को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। हाल ही में, भारत ने उबले हुए चावल के निर्यात पर शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था, जिससे बांग्लादेश के लिए आयात करना थोड़ा आसान हो सकता है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश सरकार ने 5 लाख टन चावल आयात करने की योजना बनाई है, और निजी क्षेत्र को भी जल्द ही आयात की अनुमति दी जा सकती है। देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं, क्योंकि हाल के महीनों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण, बांग्लादेश को अपने कृषि उत्पादन में बार-बार बाधाओं का सामना करना पड़ता है। बाढ़ ने 2 लाख टन से अधिक सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों को भी नुकसान पहुंचाया है। इस आपदा के कारण कुल कृषि क्षति का अनुमान लगभग 45 अरब टका (38 करोड़ डॉलर) है। चावल की उत्पादन कमी के साथ-साथ अन्य फसलों के नुकसान ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है, और इस संकट से उबरने के लिए उसे बड़े पैमाने पर आयात का सहारा लेना पड़ रहा है।
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