पिछले दो साल में Diamond की कीमत में लगातार आ रही गिरावट
प्राकृतिक हीरे में भी 25 से 30 फीसदी की गिरावट देखी गई
नई दिल्ली। पिछले दो साल के डेटा के आधार पर देखा जाए तो इन दो सालों में लैब में बने हीरे की कीमत में भारी गिरावट आई है। जुलाई 2022 में हीरे की कीमत 300 डॉलर (करीब 35 हजार रुपये) प्रति कैरेट थी जो इस महीने गिरकर 78 डॉलर (करीब 6529 रुपये) प्रति कैरेट पर आ गई है। वहीं प्राकृतिक हीरे की कीमत में भी 25 से 30 फीसदी की गिरावट देखी गई है। हीरा कारोबारियों का कहना है कि पिछले दो साल में हीरे में कीमत में लगातार गिरावट आ रही है। वहीं सोने की कीमतों में वृद्धि, अमेरिकी अर्थव्यवस्था और अन्य पश्चिमी देशों में मंदी और चीनी खरीद पैटर्न में अचानक आए बदलाव से भी मदद नहीं मिली है। हीरा कारोबारियों ने कहा है कि सूरत में काम करने वाले 38 हजार श्रमिकों से लेकर छोटे और मध्यम व्यवसायों और बड़े उद्यमों तक सभी को नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में अब हीरे की अधिक आपूर्ति है। प्राकृतिक हीरों की कीमतों में गिरावट के बारे में कहा जा रहा है कि छोटे और सस्ते गुणवत्ता वाले दोषपूर्ण हीरे अपनी चमक खो चुके हैं। इन्हें लैब में बने दोषरहित पत्थरों (हीरों) से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
उच्च स्तर पर वैश्विक बाजार से मांग धीमी है। हीरा कारोबारी कहते हैं कि एक समय चीन दोषरहित खनन किए गए पत्थरों का बड़ा खरीदार हुआ करता था। अब इसने भी इन हीरों से मुंह मोड़ लिया है और इसमें दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी है। चीन अब पहले के मुकाबले मात्र 10 से 15 फीसदी ही हीरे खरीद रहा है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलरी एसोसिएशन के गवर्निंग बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सोने का स्टॉक रखने वाले व्यापारियों को अल्पावधि में नुकसान होगा। इन व्यापारियों ने ऊंची कीमत में इसे खरीदा था और अब सस्ते में बेचना होगा। जीजेईपीसी के एक अधिकारी ने कहा कि रत्न और आभूषण उद्योग में 50 लाख लोग काम करते हैं। इनमें से काफी सीमांत वर्गों से आते हैं। बीकेसी में भारत डायमंड बोर्स में 50,000 लोग और एसईईपीजेड में एक लाख लोग काम करते हैं। यह इतना श्रम-गहन क्षेत्र है कि सरकार जो कुछ भी करेगी, उसका असर लाखों श्रमिकों पर पड़ेगा।
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