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जिस समझ रहे थे डायनासोर, वह निकला खूंखार जानवर

जिस समझ रहे थे डायनासोर, वह निकला खूंखार जानवर

-डायनासोर टी रेक्स से भी बड़ा खतरनाक है यह 

वाशिंगटन। जीवाश्म विज्ञानियों ने दशकों पुराने जीवाश्म का फिर से अध्ययन किया और पाया कि जिसे वे टी रेक्स की खोपड़ी समझ रहे थे, वह तो उसके एक रिश्तेदार प्रजाति की थी। 30 साल बाद हुए अध्ययन में उन्होंने पाया कि यह डायनासोर टी रेक्स से भी बड़ा और खतरनाक था। 

इस नई प्रजाति को वैज्ञानिकों ने टायरानोसॉरस मैक्रिएनसिस नाम दिया है। उनका दावा है कि यह तो आकार में टी रेक्स से भी बड़ा रहा होगा। यह जीवाश्म वैज्ञानिकों को साल 1983 को मिला था। मजेदार बात यह है कि वैज्ञानिक दशकों तक इसे टी रेक्स की ही खोपड़ी समझते रहे। जब 2013 में जीवाश्म वैज्ञानिकों ने की एक टीम ने इसका अध्ययन किया तो पाया कि इसकी कई बातें टी रेक्स से अलग हैं। एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस खोपड़ी के आकार में कुछ विसंगति दिखाई दीं। इनकी पड़ताल से उन्होंन पता चला कि यह खोपड़ी 7.3 से 7.1 लाख साल पुरानी रही होगी। यानी की टी रेक्स 30 से 50 लाख साल पहले रहा करते थे और इनमें सबसे बड़ा अंतर इनके निचले जबड़े में था। टी मैक्रिएनसिस का निचला जबड़ा टी रेक्स के जबड़े की तुलना में ज्यादा पतला और थोड़ा गोल था। इतना ही नहीं इस जानवर में टीरेक्स की तरह आंखों के ऊपर उभार भी नहीं था। 

इसके दांत टी रेक्स की तुलना में कुछ कम थे। फिर भी वैज्ञानिक इसे टी रेक्स का रिश्तेदार ही मान रहे हैं। क्योंकि टी रेक्स के भी कम ही दांत हुआ करते थे। वैसे तो इस जानवर की खोपड़ी का आकार टी रेक्स की खोपड़ी जितना ही थी, पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रजाति के दूसरे जानवर इससे भी बड़े होते होंगे। ये एक समय में चीन और मंगोलिया का इलाकों में घूमा करते थे। इससे पहले टैराबोसॉसरस और झूचेंगटायरॉन्स मैग्नस भी टी रेक्स के नजदीकी संबंधी हैं और वे भी चीन और मंगोलिया में रहा करते थे। बता दें कि वैज्ञानिकों को नए मिले जीवाश्म ही नहीं चौंकाते हैं। कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि किसी पुराने जीवाश्म का फिर से अध्ययन होता है और उससे कोई हैरान कर देने वाली जानकारी मिल जाती है।

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