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MP के बालाघाट में डाक मत पत्रों को लेकर मचा बवाल,कलेक्टर ने की नोडल ऑफिसर पर निलंबन की कार्रवाई

बालाघाट : मध्यप्रदेश के बालाघाट में डाक मतपत्रों की कथित गणना के आरोपों को को एक नोडल निर्वाचन अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। कांग्रेस की तरफ से पोस्टल बैलेट में गड़बड़ी का आरोप लगाया गय़ा था। कांग्रेस ने इसे लेकर एक वीडियो भी जारी किया है, जो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। इसमें दिखाया गया है कि कुछ मतदान कर्मी पोस्टल बैलेट की शोर्टिंग कर रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस वीडियों में मतों में गड़बड़ी की जा रही है। यह मामला बालाघाट तहसील कार्यालय के पोस्टल बैलेट स्ट्रॉन्ग रुम का है। जहां पर बाहर औऱ भीतर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं।  

विडिओ में सोमवार दोपहर एक बजकर 45 मिनट के बाद स्ट्रॉन्ग रुम को खोलकर पोस्टर बैलेट की शोर्टिंग की जा रही थी, इसके बाद उसे 50-50 का बंडल बनाकर रखा जा रहा था। पर इस बात को लेकर कांग्रेस के अंदर कन्फ्यूजन हुआ और कांग्रेस की बालाघाट प्रत्याशी श्रीमती अनुभा मुंजारे सहित समर्थक बड़ी संख्या में पहुंच गये। मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट कर निर्वाचन अधिकारी पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कलेक्टर के निलंबन की मांग कर दी। हालांकि कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इसे कन्फ्यूजन बताते हुए मामला क्लीयर होने का दावा किया पर उधर निर्वाचन आयोग ने इस मामले में एक निर्वाचन सहायक को निलंबित कर दिया है। 

दरअसल यहां बालाघाट जिले के सभी छह विधानसभा के पोस्टल बैलेट पेपर यहीं पर बनाए गए स्ट्रॉन्ग रुम में लाए जा रहे हैं। जहां पर उसे स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखा जाता है। सोमवार को गुरूनानक जयंती के चलते अवकाश का दिन था। इस दिन पोस्टल बेलेट की शोर्टिंग करने का कार्य कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था। इस कार्य के लिए बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों को सूचना भी दी गई थी कि तीन बजे स्ट्रॉन्ग रुम खोला जाएगा, साथ ही उनकी उपस्थिति में पोस्टल बैलेट की शोर्टंग की जाएगी। बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों की उपस्थति में यह कार्य किया जा रहा था।  

इस मामले में कलेक्टर गिरीश मिश्रा ने कहा कि डाक मतपत्रों का स्ट्रॉंग रूम तहसील कार्यालय में बनाया गया है जिसे रोज़ तीन बजे खोला जाता है क्योंकि ईटीपीबीएस आते हैं, जिसकी सूचना राजनीतिक दलों को भी दी जाती है। इसी के तहत नियमानुसार डाक मतपत्रों की विधानसभावार छंटनी की जा रही थी, इस दौरान ग़लतफ़हमी में कुछ लोगो ने विरोध किया लेकिन जानकारी स्पष्ट होते ही उन्हें भी यह ज्ञात हो गया की निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार ही कार्य किया जा रहा है।

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