Italy में सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढंकने या नकाब पहनने पर लगेगा बैन
-सत्ताधारी पार्टी ने संसद में किया नया बिल पेश, उल्लंघन पर लगेगा जुर्माना
रोम। इटली की सत्ताधारी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ने संसद में नया बिल पेश किया है। इस बिल में सार्वजनिक जगहों पर नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया है। पीएम जॉर्जिया मेलोनी की पार्टी का कहना है कि यह कानून इस्लामी सांस्कृतिक अलगाव और धार्मिक कट्टरता को रोकने के लिए लाया जा रहा है। प्रस्तावित कानून के मुताबिक किसी भी सार्वजनिक स्थल में ऐसा कोई परिधान पहनना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा जो चेहरे को ढकता है। कानून तोड़ने वालों पर 300 से 3,000 यूरो यानी करीब 28,000 से 2.8 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। मेलोनी सरकार का कहना है कि यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं है, बल्कि धार्मिक रूप से प्रेरित नफरत और सामाजिक कट्टरता के प्रसार को रोकने के लिए उठाया गया है। बता दें फ्रांस ने 2011 में पहला यूरोपीय देश था जिसने बुर्का पर सार्वजनिक रूप से प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, तुर्की, ट्यूनिशिया, श्रीलंका और स्विट्जरलैंड समेत 20 से ज्यादा देशों ने बुर्का या चेहरे को ढकने वाले कपड़ों पर किसी न किसी रूप में पाबंदी लगाई।
यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने भी इन प्रतिबंधों को जायज ठहराते हुए कहा कि ‘राज्य समाज में एकसाथ रहने की भावना को बनाए रखने के लिए ऐसे प्रतिबंध लगा सकते हैं। इटली के कुछ उत्तरी इलाकों में पहले से ही ऐसी पाबंदियां हैं, जहां 2015 से सरकारी इमारतों और अस्पतालों में चेहरा ढककर प्रवेश पर रोक है। नया बिल सिर्फ चेहरा ढकने वाले कपड़ों तक सीमित नहीं है। इसमें उन धार्मिक संगठनों पर भी निगरानी की बात कही गई है जो इटली की सरकार के साथ औपचारिक समझौते में नहीं हैं। फिलहाल इस्लाम को इटली में वैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है, जबकि 13 अन्य धर्मों के पास यह अधिकार है। इसलिए यह बिल मुस्लिम संगठनों को अपने फंडिंग सोर्सेज सार्वजनिक करने और संदिग्ध फाइनेंसरों से दूरी रखने को अनिवार्य करता है। इसके साथ ही यह कानून ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ कराने वालों पर सजा का प्रावधान लाता है और जबरन धार्मिक विवाहों में धार्मिक दबाव को अपराध की श्रेणी में लाता है। फिलहाल इटली की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के पास संसद में बहुमत है, इसलिए इस बिल के पारित होने की संभावना बेहद मजबूत है। हालांकि, सरकार ने अभी इस पर बहस की तारीख तय नहीं की है।
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