Dark Mode
  • Thursday, 12 December 2024
क्रांतिसूर्य टंट्या मामा भारत के जनजातीय गौरव पुरूष थे : Chief Minister Dr. Yadav

क्रांतिसूर्य टंट्या मामा भारत के जनजातीय गौरव पुरूष थे : Chief Minister Dr. Yadav

मुख्यमंत्री टंट्या मामा के बलिदान दिवस समारोह में वर्चुअली शामिल हुए

भोपाल/ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि क्रांतिसूर्य टंट्या मामा भील समाज के ही नहीं, भारत के जनजातीय गौरव पुरूष थे। टंट्या मामा को मैं शत-शत प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने जीवन भर अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर शोषितों की आवाज बनकर स्वतंत्रता की अलख जगाई। उनकी पुण्य-तिथि के अवसर पर टंट्या भील विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित बलिदान दिवस पर मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। आजादी के बाद कई दशकों तक देश के तत्कालीन सत्ताधीशों ने जनजातीय जननायकों को यथोचित मान-सम्मान नहीं दिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, बुधवार को मंत्रालय से टंट्या मामा की पुण्यतिथि के अवसर पर क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय खरगोन में आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देता हूं, जिनके आने के बाद स्थिति बदली है और उनके नेतृत्व में हमने फिर चाहे टंट्या मामा हो या भगवान बिरसा मुंडा जैसे जननायकों के कामों को आज के युवा के मानस पटल पर पुनर्जीवित किया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवम्बर को पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि खरगोन में भील विश्वविद्यालय का नाम टंट्या मामा के नाम पर रखना भी उनके प्रति एक सच्ची श्रद्धांजलि है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि तांतिया भील का टंट्या नाम अंग्रेजों द्वारा दिया गया था। जिसे बाद में लोगों द्वारा प्यार से टंट्या मामा कहकर पुकारने लगे। टंट्या गुरिल्ला युद्ध कौशल में माहिर थे कि सशक्त शक्तिशाली, सब प्रकार से सम्पन्न अंग्रेजी हुकुमत की नाक में उन्होंने दम किया हुआ था। वे अपने समाज में रॉबिन हुड के नाम से जाने जाते थे। वे अंग्रेजों से धन लूटकर गरीबों में बांटा करते थे। उनकी सोच थी कि हिन्दुस्तान का पैसा हिन्दुस्तान के लोगों के काम आए, न कि उसे अंग्रेज लूट कर ले जाएं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमने जनजातीय समाज के जननायकों की गौरव गाथा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य टंट्या मामा के जन्म स्थल क्षेत्र के युवाओं को विभिन्न पाठ्यक्रमों में उच्चतम शिक्षा प्रदान करना था। इस विश्वविद्यालय से 5 जिले खरगौन, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी और अलीराजपुर के 80 महाविद्यालय संबद्ध हैं। विश्वविद्यालय में बीए, बीकॉम, बीएससी, बीबीए, बीएससी, एमएससी, एमए, एमकॉम, विधि आदि महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम संचालित हैं। साथ ही बीएससी कृषि जैसे रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम भी संचालित हो रहे हैं, इनमें लगभग 350 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

नर्सिंग एवं पैरामेडिकल पाठ्यक्रम भी किए जाएं शुरू

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यहां पैरामेडिकल और नर्सिंग पाठ्यक्रमों को भी प्रारंभ किया जाएगा। विश्वविद्यालय को प्रारंभ हुए एक वर्ष भी पूर्ण नहीं हुआ है। दिनांक 9 फरवरी 2024 को स्वीकृति के बाद सिर्फ शिक्षा ही नहीं रोजगार के अवसर भी इस विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ सामने आए। इसमें 140 शैक्षणिक, 14 प्रशासकीय और 81 गैर शैक्षकीय इस प्रकार कुल 235 पद स्वीकृत किए गए हैं।

Comment / Reply From

You May Also Like

Newsletter

Subscribe to our mailing list to get the new updates!