Parents एक ट्रेंड के तहत खुद को छोटे कमरे में कर रहे हैं बंद
इस चलन को कहा जाता है हिकीकोमारी
सियोल। साउथ कोरिया के माता-पिता एक ट्रेंड के तहत खुद को छोटे कमरे में बंद कर रहे हैं। इस छोटे से कमरे में बंद होने के इस चलन को हिकीकोमारी कहा जाता है और कई पैरेंट्स इन ट्रेंड को अमल में लाकर अपने बच्चों को समझने की कोशिश कर रहे हैं। इसी साल अप्रैल से माता-पिता कोरिया यूथ फाउंडेशन और ब्लू व्हेल रिकवरी सेंटर जैसे एनजीओ के इस प्रकार के 13-सप्ताह के खास प्रोग्राम में पार्टिसिपेट कर रहे हैं। बता दें कि दक्षिण कोरिया दुनिया में सबसे अधिक आत्महत्या दर वाले देशों में से एक है। यह पूरा मामला एक नजर में पेचीदा लगता है लेकिन इसके पीछे की मंशा उस देश के लोगों को स्पष्ट है। दक्षिण कोरिया में माता-पिता खुद को ‘हैप्पीनेस फैक्ट्री’ के अंदर बंद कर लेते हैं और ऐसा अंजाम दे रहे हैं वो दो संस्थाओं के जरिए। इन छोटे छोटे कमरों को आप किसी स्टोर या किसी अलमारी की तरह मानन सकते हैं। केवल एक फीडिंग होल के जरिए ये बाहरी दुनिया से जुड़े हुए हैं और यहीं से वे खाना लेते हैं। इन माता पिताओं के पास न फोन होता है और न ही लैपटॉप।
अपने अलग-थलग रहने वाले (सोशली विदड्रॉन) बच्चों को बेहतर समझने के लिए दक्षिण कोरिया में कई माता-पिता इस फैक्ट्री में एनरोल होते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिकिकोमोरी शब्द 1990 के दशक में किशोरों और युवाओं में गंभीर सामाजिक अलगाव को समझने के लिए जापान में पैदा हुआ। दक्षिण कोरियाई की मिनिस्ट्री ने एक सर्वे में पाया कि 19 से 34 वर्ष की आयु के 5 प्रतिशत से अधिक पैरेंट्स ऐसे छोटे कमरों में रह रहे हैं। इस आंकड़े पर जाएं तो साढ़े पांच लाख लोग (लगभग) इसे अपना चुके हैं। ऐसे ही एक अभिभावक हैं जिन यंग-हे जिनका बेटा तीन साल से खुद को अलग-थलग कर रहा है। वे कहते हैं कि उन्हें अब अपने 24 वर्षीय बेटे की ‘भावनात्मक जेल’ की गहरी समझ हो गई है। उनका बेटा हमेशा प्रतिभाशाली रहा है और बतौर पैरेंट्स उससे बहुत उम्मीदें थीं।
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