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हमेशा के लिए बंद होगा लंदन का इंडिया क्लब आजादी की लड़ाई में था योगदान

हमेशा के लिए बंद होगा लंदन का इंडिया क्लब आजादी की लड़ाई में था योगदान

  • राष्ट्रवादियों ‎के ‎मिलन स्थल को 17 ‎सितंबर के बाद नहीं खोला जाएगा


लंदन। आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लंदन ‎स्थित इं‎डिया क्लब को हमेशा-हमेशा के ‎लिए बंद ‎किया जा रहा है। इसकी अं‎तिम तारीख 17 ‎सिंतबर है। बता दें ‎कि 70 साल पुराना ऐतिहासिक ‘इंडिया क्लब’ कृष्ण मेनन सहित राष्ट्रवादियों के केंद्र के रूप में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी प्रारंभिक जड़ें जमाने के लिए जाना जाता था। अब एक लंबी लड़ाई हारने के बाद यह 17 सितंबर को यह क्लब हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। क्लब के मालिक याडगर मार्कर और उनकी बेटी फिरोजा इस ऐतिहासिक संस्थान को पिछले 26 सालों से चला रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ साल पहले उन्होंने सेव इंडिया क्लब कैंपन की शुरूआत की थी। अब उन्होंने इस कैंपन को बंद करने की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा ‘बहुत भारी मन से हम इंडिया क्लब को बंद करने की घोषणा करते हैं, जिसका आखिरी दिन 17 सितंबर को जनता के लिए खुला रहेगा। भारत की आजादी की लड़ाई में इस इंडिया क्लब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।


इंडिया लीग के लिए एक केंद्र के रूप में बनाया गया, यह क्लब लंदन में विभिन्न भारतीय संगठनों जैसे द इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन, इंडियन वर्कर्स एसोसिएशन और इंडियन सोशलिस्ट ग्रुप के लिए एक मिलन स्थल के रूप में कार्य करता था। इसकी सदस्यता में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अंतिम वायसराय की पत्नी लेडी माउंटबेटन जैसे नाम शामिल हैं। डेली टेलीग्राफ ने क्लब को रेस्टोरेंट से कहीं अधिक बताया। अखबार ने इसे एक रमणीय टाइम कैप्सूल बताया जो आगंतुकों को 1960 के दशक में कलकत्ता की जीवंत आभा में ले जाता है। 1951 में लंदन में भारत के पहले उच्चायुक्त कृष्ण मेनन द्वारा स्थापित, इंडिया क्लब ने एक गहन मिशन चलाया। इसका जन्म स्वतंत्रता के बाद के भारत-ब्रिटिश सौहार्द के प्रतीक के रूप में हुआ था।


इसके संस्थापक सदस्यों में से एक रहे कृष्ण मेनन बाद में यूके में पहले भारतीय उच्चायुक्त भी बने थे। भारत की स्वतंत्रता और विभाजन के बाद यह तेजी से ब्रिटिश, दक्षिण एशियाई समुदाय केंद्र में बदल गया। कृष्ण मेनन इसे ऐसी जगह बनाना चाहते थे। जहां गरीबी में जीवन बसर करने वाले युवा पेशेवर भारतीय खाना खा सकें और राजनीति पर चर्चा करके अपनी भविष्य की योजना भी बना सकें। क्लब के संस्थापक सदस्यों में से एक, चंद्रन थरूर की बेटी, व लेखिका स्मिता थरूर ने कहा ‎कि मेरे पास शब्द नहीं हैं। मैं बेहद दुखी हूं। मेरे पिता क्लब के संस्थापक सदस्य थे कुछ दिन पहले, जब मैंने पहली बार इंडिया क्लब के बंद होने की खबर सुनी तो मेरे मन में लगातार इसके बारे में ख्याल आता रहा।

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