किस्मत से क्रिकेटर बन गये जुनैद
नई दिल्ली। ईरानी कप में मुम्बई की ओर से खेले जुनैद खान क्रिकेटर नहीं बनना चाहते थे किस्मत से उन्हें फर्स्ट क्लास क्रिकेट में भी जगह मिल गयी। जुनैद कन्नौज के रहने वाले हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार जुनैद काम की तलाश में मुम्बई आये थे। जुनैद ने कहा कि घर में पैसे की तंगी थी। इसलिए मैंने काम करना शुरु कर दिया। परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए मैं कन्नौज से मुम्बई पहुंचा था। मुंबई पहुंचने के बाद जुनैद ने एक कपड़े की फैक्ट्री में काम मिला। फिर वह ऑटोरिक्शा चलाने लगे। इस बीच वह एक बार अपने घर के करीब मुंबई के पूर्व विकेटकीपर मनीष बंगेरा की संजीवनी क्रिकेट अकादमी में पहुंचे। जुनैद हर बच्चे की तरह टेनिस-बॉल क्रिकेट खेलते थे लेकिन वहां पहली बार लेदर ऑल से उन्हें गेंदबाजी करने का मौका मिला।
मनीष बंगेरा उनकी गेंदबाजी से प्रभावित हुए और लगातार गेंदबाजी करने को कहा गया। इसी के बाद वह भारतीय टीम के सहायक कोच अभिषेक नायर की नजरों में आये। जुनैद ने कहा कि मनीष बंगेरा ने हर संभव तरीके से मेरी मदद की है। अगर वह नहीं होते तो मैं आज जहां हूं वहां कहीं भी नहीं होता। उन्होंने ही मुझसे कहा था कि ऑटोरिक्शा चलाना बंद करो और अपना सारा समय क्रिकेट को दो। फिर मैंने उनकी एकेडमी में ट्रेनिंग शुरू कर दी। जब उन्होंने मुझसे पिछले आईपीएल सीजन के लिए केकेआर में नेट गेंदबाज के रूप में शामिल होने के लिए कहा तो यह मेरे लिए सबसे अच्छा मौका था। मोहम्मद शमी को आदर्श मानने वाले जुनैद लोकल टूर्नामेंट में कमाल का प्रदर्शन किया। इसके बाद मुंबंई के चयनकर्ताओं ने उन्हें बुची बाबू और केएससीए टूर्नामेंट में अवसर दिया। अब जुनैद का फर्स्ट क्लास डेब्यू उनके घरेलू राज्य के मैदान पर ही हुआ।
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