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  • Thursday, 21 November 2024
जज साहब मैं जिंदा हूं...जब Supreme Court में अपने ही मर्डर केस की सुनवाई में हाजिर हो गया 11 साल का बच्चा

जज साहब मैं जिंदा हूं...जब Supreme Court में अपने ही मर्डर केस की सुनवाई में हाजिर हो गया 11 साल का बच्चा

नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश के पीलीभीत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट एक बच्चे की हत्या के मामले को सुन रहा था। इसी बीच एक 11 साल का बच्चा आया और उसने सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए कहा जज साहब मैं जिंदा हूं मेरा मर्डर नहीं हुआ है। फिलहाल ये मामला अभी पूरी तरह सुलझा नहीं है अगली सुनवाई अगले साल वर्ष् 2024 में होगी। सुप्रीम कोर्ट में अपने ही मर्डर केस की सुनवाई के दौरान हाजिर हुए बच्चे ने कोर्ट को बताया कि वह जिंदा है और उसके नाना और मामाओं को गलत ढंग से उसके हत्या के झूठे मुकदमे में फंसाया गया है, जबकि वह जीवित और कोर्ट के सामने मौजूद है। यह मामला उत्तर प्रदेश के पीलीभीत का है, जहां इस मामले में याचिका को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी। इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में यूपी सरकार, पीलीभीत के एसपी और न्यूरिया थाने के इंचार्ज को भी नोटिस जारी किया है। इस मामले को लेकर वकील कुलदीप जौहरी ने बताया कि बच्चा फरवरी 2013 से अपने खेतीवाड़ी कर गुजारा करने वाले नाना के साथ रह रहा था। उसकी मां को पिता ने बेरहमी से पीटा था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी। आरोप है कि वह परिवार से अधिक दहेज चाहता था।वकील ने आगे बताया कि बच्चे के माता-पिता की फरवरी 2010 में शादी हुई थी। सिर्फ तीन साल बाद ही मार्च 2013 में पति की पिटाई के कारण वह घायल हुईं और बच्चे की मां की मौत हो गई। मौत के बाद नाना ने अपने दामाद के खिलाफ आईपीसी की धारा 304- (दहेज हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद दामाद ने अपने बेटे की कस्टडी की मांग की। फिर दोनों पक्षों में कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। इस लड़ाई ने दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ केस दर्ज कराया। साल 2023 की शुरुआत में दामाद ने अपने ससुर और उनके चार बेटों पर बच्चे की हत्या का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करा दी। पुलिस ने उन पर आईपीसी की धारा 302 , 504 ,और 506 के आरोपों के तहत केस दर्ज कर लिया। वकील कुलदीप जौहरी के मुताबिक उन्होंने एफआईआर को रद्द करने के लिए पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट दरवाजा खटखटाया लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्हें बच्चे के जीवित होने के सबूत के तौर पर उसके साथ सुप्रीम कोर्ट में पेश होना पड़ा। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी।

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