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  • Monday, 01 September 2025
America की बात नहीं मान रहा इजराइल, दुनिया भर में हो रही आलोचना

America की बात नहीं मान रहा इजराइल, दुनिया भर में हो रही आलोचना

वाशिंगटन। इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव से पूरी दुनिया के देशों के माथे पर चिंता की लकीर खिंच गई है। इस तनाव का असर तेल और खाद की कीमतों से लेकर, समुद्री व्यापार और अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर भी पड़ सकता है। इस संघर्ष की शुरुआत पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास के हमले से हुई थी। इस कार्रवाई में अब तक 40 हजार से ज्यादा फिलीस्तीनी आम नागरिक मारे जा चुके हैं और करीब 20 लाख लोग बेघर हो गए हैं। अमेरिका समेत इजराइल के सभी सहयोगी चाहते हैं कि यह संघर्ष जल्द से जल्द खत्म हो। कई लोगों का कहना है कि नेतन्याहू अमेरिका की युद्धविराम की सिफारिशों को इसलिए नजरअंदाज कर रहे हैं क्योंकि वह अमेरिकी राष्ट्रपति की राजनीतिक मजबूरियों को अच्छी तरह से समझते हैं। रूस और चीन जैसे अमेरिकी प्रतिद्वंद्वी इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। वहीं भारत खाड़ी देशों में रहने वाले 90 लाख भारतीयों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है।

अमेरिका ईरान पर और प्रतिबंध लगाता है तो भारत के लिए कई तरह की नीतिगत चुनौतियां भी खड़ी हो सकती हैं। दुनिया भर के कई देशों में इजराइल के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है और उसकी कार्रवाइयों की आलोचना हो रही है। हाल ही में इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को देश में आने से भी रोक दिया। हालांकि कई यूरोपीय देशों, खासकर अमेरिका में इजराइल को समर्थन मिल रहा है लेकिन अमेरिका में रहने वाले अरब और मुस्लिम आबादी के एक बड़े हिस्से और डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ नेता इसका विरोध कर रहे हैं। इस लड़ाई का असर यह हो रहा है कि गाजा के लोगों को खाने-पीने की चीजों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और यहां की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। अमेरिका, मिस्र और कतर जैसे देशों ने युद्धविराम के लिए बहुत कोशिश की है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है। इसकी वजह यह है कि इजराइल हमास को पूरी तरह खत्म करना चाहता है, जबकि हमास स्थायी युद्धविराम की मांग पर अड़ा है।

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