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  • Monday, 01 September 2025
Iran and Israel: कभी तेल और हथियार होते थे सप्लाई, अब जंग के मुहाने पर दोनों देश

Iran and Israel: कभी तेल और हथियार होते थे सप्लाई, अब जंग के मुहाने पर दोनों देश

वाशिंगटन। ईरान और इजरायल एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं जो कि अब जंग के मुहाने पर खड़े हैं। इसकी वजह है ईरान का इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइल अटैक, ये हमला पिछले मंगलवार की रात को हुआ था, जब इजरायल के आसमान में ईरानी मिसाइलों की भारी बौछार देखी गई। हालांकि ये कोई रहस्य नहीं है कि ईरान-इजरायल का कट्टर दुश्मन है, लेकिन कई लोगों को यह जानकर हैरानी हो सकती है कि कभी ऐसा भी समय था जब दोनों देशों के बीच बहुत करीबी संबंध थे। लेकिन आज हालात पूरी तरह से अलहदा हैं। ईरान से तेल इजरायल की इंडस्ट्री और सैन्य जरूरतों के लिए काफी जरूरी था, जबकि इजरायल के दुश्मन अरब देशों ने तेल पर प्रतिबंध लगा रखा था। 1968 में स्थापित ईलाट-अश्केलोन पाइपलाइन कंपनी एक महत्वपूर्ण संयुक्त परियोजना थी, जिसने मिस्र के अधीन स्वेज नहर को दरकिनार करते हुए ईरानी तेल को इजरायल तक पहुंचाया। इसके बदले में इजरायल ने 1980 के दशक में इराक के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए ईरान को आधुनिक सैन्य उपकरण और हथियार प्रदान किए। टाइम्स ऑफ इजरायल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार ईरानियों ने इजरायल से हाईटेक मिसाइल सिस्टम, एम-40 एंटीटैंक गन, उजी सबमशीन गन और विमान इंजन भी इंपोर्ट किए।

ईरान के शाह ने अपने पड़ोसियों के खिलाफ सैन्य सफलता के कारण इजरायल की तारीफ भी की, फिर प्रोजेक्ट फ्लावर आया, जो हाईटेक मिसाइल सिस्टम को संयुक्त रूप से डवलप करने के लिए इजरायल-ईरानी वेंचर था। 1979 में ईरानी क्रांति ने ईरान-इजरायल संबंधों में एक बड़ा बदलाव किया। पहलवी राजवंश के पतन और अयातुल्ला खामेनेई के नेतृत्व में इस्लामिक गणराज्य की स्थापना ने ईरान की विदेश नीति और वर्ल्ड व्यू को पूरी तरह से उलट दिया। हालांकि शुरुआती साल में ईरान और इज़रायल ने अपने संबंधों को सामान्य बनाए रखने पर जोर दिया। इज़रायल और ईरान दोनों ने सद्दाम हुसैन की इराकी सरकार का मुकाबला करना अपने हित में देखा। ब्रिटिश अख़बार के अनुसार 1980-88 के ईरान-इराक युद्ध के दौरान इजराइल ने ईराना को सालाना 500 मिलियन डॉलर के हथियार बेचे थे। इन सौदों को सुविधाजनक बनाने के लिए इज़रायल ने स्विस बैंक में खाते भी खोले। येरुशलम में इज़रायली अधिकारियों को उम्मीद थी कि हथियारों की सप्लाई ईरानी सेना को खुश रखेगी और अयातुल्ला के शासन को उखाड़ फेंकेगी। ईरान-इराक युद्ध के बाद भी कुछ समय तक दोनों देशों के बीच सीक्रेट रिलेशन जारी रहे, लेकिन बाद में संबंधों में गिरावट आने वाली थी।

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