Hanuman Janmotsav: मंदिरों पर लगी श्रद्धालुओं की भीड़, हनुमान जी को लगा 56 भोग प्रसाद
ग्वालियर। हनुमान जयंती के पावन पर्व पर मंगलवार सुबह से ही शहर के सभी प्रसिद्ध व प्राचीन हनुमान मंदिरों पर दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। हनुमान मंदिरों पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा सहित अन्य इंतजामों को सोमवार को ही अंतिम रूप दे दिया। मंदिरों में दर्शन करने का सिलसिला तडक़े से ही शुरू हो गया,जो देर रात तक जारी रहेगा। शहर व आसपास के क्षेत्र में कई ऐसे हनुमान मंदिर हैं, जो प्राचीन काफी हैं, जिनकी महिमा के चर्चे दूर-दराज तक हैं। इन मंदिरों पर भी दर्शन के लिए काफी संख्या में भक्त पहुंचे। हनुमान जन्मोत्सव पर मंदिरों में भव्य सजावट की गई है, जहां मंगलवार की सुबह से ही धार्मिक आयोजन शुरू हो गए।
खेड़ा से हुए खेरापति हनुमान
गांधी नगर स्थित खेरापति हनुमान मंदिर का इतिहास भी काफी वर्षों पुराना है। पूर्व में यहां शाही सेना का खेड़ा (टुकड़ी) आशीर्वाद लेकर युद्ध के लिए कूच करता था। इस कारण इसका नाम खेड़ापति हनुमान मंदिर पड़ा। मंदिर के पुजारी के अनुसार यहां पर पुराने समय में जंगल था। इस जगह सेना का खेड़ा आकर रुकता था, जब भी सेना किसी युद्ध के लिए जाती अथवा लौटकर आती तो इन्हीं हनुमान जी की पूजा-अर्चना की जाती थी। मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर में मूर्ति लगभग 360 वर्ष पुरानी है। खेड़ापति मंदिर पर हर अमावस्या को अखंड रामायण का पाठ होता है। वहीं महीने के प्रथम शनिवार को राम धुन 24 घंटे तक होती है।
कष्टों का निवारण करते हैं रोकडिय़ा सरकार
छत्री बाजार वाले बड़े हनुमान मंदिर में सच्चे भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। छत्री बाजार में प्राचीन नाग देवता मंदिर के पास ही बड़े हनुमान जी का मंदिर है। भक्तगण इन्हें प्यार से रोकड़िया सरकार कहते हैं। इस मंदिर में लोग दूर-दराज से आते हैं। ऐसी मान्यता है कि बाबा के दरबार में जो आता है,वह खाली हाथ नहीं जाता। यह मंदिर लगभग पांच सौ वर्ष पुराना है। मंदिर की स्थापना सिंधिया राजदरबार में काम करने वाले सेठ रामचंद्र पेंटर द्वारा की गई थी। महाराष्ट्र से आई इस मूर्ति का स्वरूप बाल हनुमान को दर्शाता है। मूर्ति पश्चिम मुखी है, मूर्ति के पास ही भैरोबाबा, प्रेतराज सरकार तथा रामजानकी की मूर्तियां भी स्थापित की गईं हैं।
हनुमान की कृपा से ही बना पुल
लगभग सत्तर वर्ष पुराने पड़ाव पुल को मंशापूर्ण हनुमान जी ने अपने हाथों पर टिका रखा है। बताते है कि जब पड़ाव पुल के निर्माण के समय हनुमान मंदिर के लिए रास्ता नहीं दिया गया तो पुल बार- बार चटक जाता, तब पुल बनाने वाले संबंधित इंजीनियरों ने मंदिर के पुजारी से सलाह करके पुल के नीचे से मंदिर को जाने के लिए रास्ता दिया, तब जाकर पुल का निर्माण हो सका। करीब 260 वर्ष पूर्व पं. गोपाल दुबे के पूर्वज यहां आए और उन्होंने पहले से खुले में रखे हनुमान जी की प्रतिमा की पूजा- अर्चना कर विधि- विधान से मंदिर का निर्माण कार्य कराया। मंदिर में वर्षों से अखंड रामायण का पाठ किया जा रहा है। वहीं अखंड ज्योति वर्षों से यहां पर जल रही है।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!