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  • Saturday, 15 November 2025
Earth की घूमने की दिशा को बदल रहे बडे-बडे बांध

Earth की घूमने की दिशा को बदल रहे बडे-बडे बांध

हार्वर्ड। इंसानों द्वारा बनाए गए हजारों बड़े बांध न केवल समुद्र के जलस्तर को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि धरती की घूमने की दिशा यानी रोटेशन एक्सिस को भी बदल रहे हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक नए शोध में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह रिसर्च जियोफिजिसिस्ट नताशा वेलेंसिक के नेतृत्व में की गई है, जिसमें बताया गया है कि अब तक बनाए गए लगभग 7000 विशाल बांधों के कारण धरती की क्रस्ट यानी ऊपरी सतह चुंबकीय ध्रुव के मुकाबले लगभग एक मीटर तक खिसक चुकी है। वैज्ञानिकों ने इस भौगोलिक बदलाव को ‘ट्रू पोलर वॉन्डर’ नाम की प्रक्रिया से जोड़ा है, जिसके तहत धरती की सतह चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के चारों ओर धीरे-धीरे खिसकती है। धरती एक विशाल घूमता हुआ गोला है और जब इसके किसी एक हिस्से पर असामान्य रूप से भारी वजन जुड़ जाता है, तो उसका संतुलन प्रभावित होता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे एक घूमते हुए टॉप पर एक ओर अतिरिक्त भार डाल दिया जाए। शोध में बताया गया है कि जब लाखों टन पानी को बांधों के जरिए एक स्थान पर रोक दिया गया, तो इस भारी द्रव्यमान के कारण धरती के घूमने की दिशा में बदलाव आने लगा। उदाहरण के तौर पर, 1835 से 1954 के बीच यूरोप और अमेरिका में बड़े पैमाने पर बांध बनाए गए, जिसकी वजह से उत्तरी ध्रुव लगभग 20 सेंटीमीटर रूस की दिशा में खिसक गया।

इसके बाद, 1954 से 2011 के दौरान जब एशिया और पूर्वी अफ्रीका में विशाल बांध बने, तो यह ध्रुव 57 सेंटीमीटर पश्चिम की ओर सरक गया। इस अध्ययन में एक और अहम जानकारी यह दी गई है कि इन बांधों के कारण समुद्र के जलस्तर में लगभग 21 मिलीमीटर की गिरावट दर्ज की गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार, जब पानी को प्राकृतिक प्रवाह से रोककर कृत्रिम जलाशयों में संग्रहित किया जाता है, तो वह समुद्र तक नहीं पहुंचता, जिससे समुद्री जल का संतुलन बिगड़ जाता है। यह गिरावट जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को थोड़े समय के लिए धीमा कर सकती है, लेकिन यह भविष्य में समुद्र से जुड़ी गणनाओं और वैज्ञानिक पूर्वानुमानों को जटिल बना सकती है। रिसर्च टीम ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल इन बदलावों से कोई विनाशकारी या खतरनाक स्थिति उत्पन्न होने की संभावना नहीं है, जैसे कि नई हिमयुग की शुरुआत। लेकिन यह बदलाव उन क्षेत्रों के लिए चिंता का कारण बन सकता है, जो पहले से समुद्र स्तर में बढ़ोतरी और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर रहे हैं।

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