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  • Thursday, 13 February 2025
बाबा साहेब के नाम पर करते हैं वोट बैंक की राजनीति : Mayawati

बाबा साहेब के नाम पर करते हैं वोट बैंक की राजनीति : Mayawati

नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने रविवार को कहा कि कांग्रेस और बीजेपी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब का नाम लेकर वोट बैंक की राजनीति करने वाले दल केवल उनकी उपेक्षा करते हैं, जबकि बीएसपी सरकार के दौरान ही बहुजन समाज में जन्मे महान संतों और महापुरुषों को सम्मान मिला। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की हालिया टिप्पणी के संदर्भ में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का अमित शाह द्वारा संसद में किए अनादर को लेकर देश भर में लोगों में भारी आक्रोश, लेकिन उनकी उपेक्षा व देशहित में उनके संघर्ष को हमेशा आघात पहुंचाने वाली कांग्रेस पार्टी का इसको लेकर उतावलापन विशुद्ध छलावा व स्वार्थ की राजनीति। उन्होंने आगे लिखा, बाबा साहेब का नाम लेकर उनके अनुयाइयों के वोट के स्वार्थ की राजनीति करने में कांग्रेस और बीजेपी आदि पार्टियां एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं और बाबा साहेब के आत्म-सम्मान के कारवां को आगे बढ़ने से रोकने के लिए सभी पार्टियां बीएसपी को आघात पहुंचाने के षडयंत्र में लगी रहती हैं।

बीएसपी सुप्रीमो ने आगे कहा, वास्तव में बाबा साहेब सहित बहुजन समाज में जन्मे महान संतों, गुरुओं, महापुरुषों को भरपूर आदर-सम्मान केवल बीएसपी की सरकार में ही मिल पाया, जो इन जातिवादी पार्टियों को हजम नहीं। खासकर सपा ने तो द्वेष के तहत नए जिले, नई संस्थाओं व जनहित योजनाओं आदि के नाम भी बदल डाले। मायावती ने कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों दल बाबा साहेब के नाम का उपयोग करते हैं, लेकिन उनकी नीतियां समाज के गरीब और दबे-कुचले वर्ग के हित में नहीं हैं। बीएसपी का आरोप है कि इन जातिवादी दलों ने बाबा साहेब के आदर्शों को केवल अपने स्वार्थ के लिए भुनाया है, जबकि उनकी सरकार में ही उनके सम्मान में ठोस कदम उठाए गए। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी को भी आड़े हाथों लिया, जिसमें सपा द्वारा हाल ही में कई जिलों और संस्थाओं के नाम बदलने का आरोप लगाया गया। उन्होंने कहा कि सपा ने द्वेष की भावना से काम करते हुए नए जिलों और योजनाओं के नाम बदले, ताकि बहुजन समाज के प्रतीकों और उनकी महत्ता को नकारा जा सके।

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