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  • Friday, 22 November 2024
रुस की दोस्ती का बदला ले रहा America, भारत को नहीं दे रहा तेजस के इंजन

रुस की दोस्ती का बदला ले रहा America, भारत को नहीं दे रहा तेजस के इंजन

वाशिंगटन। अमेरिका कोई भी फैसला बिना किसी लाभ के नहीं करता है। ऐसा ही कुछ वह भारत के साथ कर रहा है। इसका असर रक्षा संबंधों में भी देखने को मिला है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, भारत को तेजस में इस्तेमाल होने वाले जनरल इलेक्ट्रिक एफ404 इंजन देने में जानबूझ कर देरी कर रहा है। वह ऐसा इसलिए कर रहा है कि भारत रुस का बहुत अच्छा दोस्त है और हाल ही में पीएम मोदी रुस की यात्रा पर भी गई थे। वहां पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया गया था। इन सब बातों को लेकर वह भारत से बदलना लेना चाहता है। इंजन की डिलीवरी में देरी के कारण भारत में ही बनने वाले स्वदेशी तेजस एमके-1ए लाइन के उत्पादन में कमी आ रही है। इससे भारतीय वायुसेना स्क्वाड्रन बेड़े की ताकत को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना कर रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड अधिकारी ने कहा कि अगर अमेरिका, भारत के स्वदेशी युद्धक विमान तेजस के लिए जेट इंजन की आपूर्ति में पिछड़ता है तो अमेरिकी विश्वसनीयता दांव पर लग जाएगी और अनुबंध को खत्म भी किया जा सकता है।

रिटायर्ड एयर मार्शल एम. माथेस्वरन ने कहा कि अमेरिकी एफ404 इंजन की आपूर्ति में देरी से भारतीय वायुसेना पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि तेजस एमके1 और तेजस एमके1ए के छह स्क्वाड्रन जल्द ही सर्विस में शामिल होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना में पहले से ही स्क्वाड्रन की समस्या है। वर्तमान में, भारतीय वायुसेना 45 की जरुरत के मुकाबले 32 स्क्वाड्रन के साथ काम कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि यहां-वहां थोड़ी-बहुत देरी से कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन तेजस लड़ाकू विमान के अगली पीढ़ी के एमके2 संस्करण को शक्ति प्रदान करने वाले एफ414 इंजन भारत को मिलने चाहिए और यदि अमेरिकी ऐसा नहीं करता हैं, तो अनुबंध खतरे में पड़ जाएगा। माथेस्वरन ने कहा कि अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण चीजों में से एक यह है कि अमेरिका से भारत आने वाले किसी भी सैन्य उपकरण के बारे में हमेशा अविश्वास और विश्वसनीयता की कमी की भावना रही है। हालांकि उसने पिछले 15 सालों में भारत के साथ बड़े रक्षा अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन अमेरिकियों को अधिक विश्वसनीय होना चाहिए, क्योंकि देरी इस क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार के विकास के लिए अनुकूल नहीं होगी।

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