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  • Saturday, 21 September 2024
देश में ईवी के लिए बनेंगे 74,300 Charging केंद्र

देश में ईवी के लिए बनेंगे 74,300 Charging केंद्र

ईवीपीसीएस पर अनुमानित 2 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) चार्जिंग स्टेशन बनाने और उसके संचालन के दिशा निर्देश में बदलाव कर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। सरकार की कवायद हाल ही में पेश की गई 10,900 करोड़ रुपये की पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हासमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना के बाद की गई है, जिसमें पूरे देश में चार्जिंग बुनियादी ढांचा बनाने पर ध्यान दिया गया है। इस योजना में इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (ईवीपीसीएस) की स्थापना को बढ़ावा देकर ईवी खरीदारों की चिंता को भी दूर करने का प्रयास किया गया है। ये ईवीपीसीएस वैसे शहरों और राजमार्गों पर लगाए जाएंगे जहां बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक वाहन हैं। कुल मिलाकर 74,300 चार्जर लगाए जाएंगे, जिसमें इलेक्ट्रिक कारों के लिए 22,100 फास्ट चार्जर, इलेक्ट्रिक बसों के लिए 1,800 फास्ट चार्जर और इलेक्ट्रिक दोपहिया एवं तिपहिया वाहनों की चार्जिंग के लिए 48,400 फास्टर चार्जर शामिल हैं। ईवीपीसीएस पर अनुमानित 2 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है।

विद्युत मंत्रालय द्वारा 18 सितंबर को जारी किए गए दिशानिर्देशों का मकसद सरकार और निजी कंपनियों के बीच एक नए राजस्व साझाकरण मॉडल के जरिये सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने का है। यह दिशानिर्देश ईवी चार्जिंग वाली जगहों की एक विस्तृत श्रृंखला लागू करने के लिए भी तय की गई है। इनमें निजी पार्किंग स्थल और कार्यालय भवन, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल और ग्रुप आवासीय सोसायटी जैसे अर्ध प्रतिबंधित क्षेत्र शामिल हैं। सार्वजनिक स्थानों में वाणिज्यिक परिसर, रेलवे स्टेशन, पेट्रोल पंप, हवाई अड्डा, मेट्रो स्टेशन, शॉपिंग मॉल, नगरपालिका की पार्किंग, हाईवे, एक्सप्रेस वे जैसे स्थल शामिल किए गए हैं। विद्युत मंत्रालय ने पहली बार साल 2018 में 14 दिसंबर को ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे के मानक जारी किए थे। तब से अब तक ईवी क्षेत्र की तेजी से बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए उनमें पांच बार बदलाव किया जा चुका है। इससे पहले पिछले साल अप्रैल में संशोधन किया गया था, जिसमें सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों पर चार्ज प्वाइंट ऑपरेटरों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क पर अधिकतम सीमा लागू की गई थी।

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