क्या आईओसी के दबाव में Pakistan हॉकी टीम को भारत देगा वीजा ?
नई दिल्ली। बिहार के राजगीर में होने वाले एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान पुरुष हॉकी टीम को भारत आने देने के मुद्दे पर सरकार के सामने कठिन स्थिति बन गई है। कई वर्तमान और पूर्व खेल प्रशासक सरकार से अपील कर रहे हैं कि वह पाकिस्तान को वीजा देने से इनकार करे, लेकिन सरकार ऐसा कदम उठाने से झिझक रही है। इसकी वजह ओलंपिक चार्टर का नियम है, जिसमें राजनीतिक कारणों से किसी देश को टूर्नामेंट से बाहर करने को प्रतिबंधित किया गया है। भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी का इच्छुक है और अगर इस बार पाकिस्तान को वीजा देने से इनकार किया तो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के सामने नकारात्मक संदेश जाएगा और भारत की दावेदारी कमजोर पड़ सकती है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को वीजा न देने पर यह ओलंपिक चार्टर के उल्लंघन के रूप में देखा जाएगा। चार्टर यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी योग्य एथलीट राष्ट्रीयता या राजनीतिक मतभेद के आधार पर भेदभाव का सामना न करे और उसे खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का अधिकार मिले। इसमें खेल महासंघों की स्वायत्तता और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रहने पर भी जोर दिया गया है। ऐसे में भारत सरकार को यह डर है कि अगर वह पाकिस्तान टीम को रोकती है, तो भविष्य में उसकी वैश्विक खेल प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।
भारत पहले भी ऐसी स्थिति का सामना कर चुका है। 2018 में कोसोवो के मुक्केबाजों को वीजा नहीं देने के चलते भारत की कड़ी आलोचना हुई थी क्योंकि भारत ने कोसोवो को मान्यता नहीं दी थी। 2019 में नई दिल्ली में आईएसएसएफ विश्व कप के दौरान पाकिस्तान के दो निशानेबाजों और एक अधिकारी को वीजा नहीं दिया गया। इसके बाद आईओसी ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि भविष्य में भारत में किसी भी ओलंपिक से जुड़े आयोजन की मेजबानी के लिए सभी चर्चाएं निलंबित कर दी जाएंगी जब तक भारत सरकार लिखित में गारंटी न दे दे कि वह सभी देशों के खिलाड़ियों को प्रवेश की अनुमति देगी। अन्य देशों के उदाहरण भी भारत के लिए चेतावनी बने हैं। 2019 में मलेशिया ने इजरायली एथलीटों को वीजा देने से इनकार किया था, जिससे उसे विश्व पैरा तैराकी चैंपियनशिप की मेजबानी गंवानी पड़ी और यह आयोजन लंदन चला गया। इन सब घटनाओं से सबक लेते हुए भारत सरकार इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती और पाकिस्तान को वीजा देने के पक्ष में झुकी हुई है ताकि भविष्य में उसकी मेजबानी की दावेदारी सुरक्षित रह सके।
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