जिस NATO के लिए यूक्रेन और रूस के बीच पंगा हुआ अब उसी का अस्तित्व संकट में
मास्को। रूस और यूक्रेन के बीच तीन सालों से जंग चल रही है। दोनो ही देशों पर इस युद्ध का बहुत बुरा प्रभाव हुआ है। यूक्रेन कांक्रीट का जंगल बन गया तो रूस को भी भारी नुकसान हुआ है। ये युद्ध सिर्फ इसलिए हुआ था कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनना चाहता था और रुस ये बिलकुल नहीं चाहता था कि यूक्रेन को नाटो की सदस्यता मिले। ऐसे में यूक्रेन को सदस्यता तो नहीं मिली बल्कि जंग लड़ना पड़ी। अब यह नाटो रहेगा या खत्म हो जाएगा इसको लेकर आशंकाएं व्यक्त की जाने लगीं हैं। अरबपति एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र और नाटो से अमेरिका के अलग होने के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए कहा कि अमेरिका को इन संगठनों से बाहर निकल जाना चाहिए। इससे न केवल नाटो के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं, बल्कि यूक्रेन के लिए भी बड़ा झटका साबित हो सकता है, जो इस गठबंधन में शामिल होने की लगातार कोशिश कर रहा है। एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा मैं सहमत हूं। यह प्रतिक्रिया सीनेटर माइक ली की तरफ से पेश किए गए एक विधेयक पर थी, जिसमें अमेरिका के यूएन और नाटो से पूरी तरह अलग होने का प्रस्ताव है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार नाटो की फंडिंग को लेकर सवाल उठा चुके हैं। ट्रंप का कहना था कि नाटो में शामिल यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा का खर्च खुद उठाना चाहिए। दरअसल अमेरिका नाटो का सबसे बड़ा फंडिंग पार्टनर है। यह पूरा सैन्य गठबंधन एक तरह से अमेरिका की सैन्य शक्ति पर ही टिका है। ऐसे में अगर अमेरिका नाटो से हट जाता है, तो इसके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो जाएगा। रूस के खिलाफ जंग लड़ रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की सबसे बड़ी रणनीतिक प्राथमिकता नाटो की सदस्यता थी। उनका मानना था कि नाटो में शामिल होकर यूक्रेन को सैन्य सुरक्षा मिलेगी और रूस का प्रभाव कम होगा। लेकिन अगर अमेरिका नाटो से हटता है, तो नाटो की सैन्य ताकत कमजोर हो जाएगी। यूरोपीय देशों को खुद अपनी सुरक्षा करनी होगी, जिससे वे यूक्रेन को उतनी मदद नहीं कर पाएंगे।
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