वायु गुणवत्ता की उपेक्षा के चलते आतिशबाजी में लुप्त हुआ Superme Court का आदेश
नई दिल्ली। वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों को भुगत रहे नागरिक शीर्ष न्यायालय, हरित पंचाट, पर्यावरणविज्ञों की हितकारी याचनाओं को दरकिनार करते हुए वायु गुणवत्ता के प्रति घोर निराशाजनक रुख अपनाते हुए फटाखों का दुरुपयोग किया। उत्सव के नाम पर घुट-घुटकर जीने को मजबूर बच्चों की उपेक्षा करते हुए रविवार को दीपावली पर पटाखों पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन किया गया।
दिल्ली के कई इलाकों सहित शाहपुर जट और हौज खास इलाके में पटाखे फोड़े गये। क्षेत्र के उद्यानों में सामूहिक तौर पर लोग पटाखे फोड़ते नजर आये। शाम चार बजे के बाद आतिशबाजी बढ़ गई, हालांकि यह पिछले साल की तुलना में कम थी। शाम साढ़े बजे तक ग्रेटर कैलाश और चितरंजन पार्क इलाके में कम आतिशबाजी हुई। दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर इलाके में पटाखों की आवाजें सुनाई देने लगीं। इलाके के कई दुकानदार प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए बच्चों को छोटे पटाखे बेचते दिखे। दक्षिणी दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके में भी कुछ लोगों ने पटाखे फोड़े। शाम साढ़े छह बजे के बाद से दूर-दराज के घरों से रुक-रुककर पटाखों की आवाजें सुनाई देने लगीं। कुछ इलाकों में कम और कुछ इलाकों में ज्यादा तीव्रता वाले पटाखे फोड़े गए।
पर्यावरणविद् भवरीन कंधारी का कहना था कि उनके आवासीय क्षेत्र डिफेंस कॉलोनी में भी पटाखे फोड़े जाने की सूचना मिली है। उन्होंने कहा कि डिफेंस कॉलोनी थाने में शिकायतें दर्ज की गईं, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। पटाखा प्रतिबंध को लेकर उच्चतम न्यायालय का कठोर निर्देश आतिशबाजी के धुएं में उड़ गया। ऐसे में तमाम चेतावनियों और पूर्ण प्रतिबंध के परिपालन में असफल प्रशासन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की प्रतिक्रिया की अपेक्षा है। इलाके के लोगों ने कहा कि लग रहा है कि लोग पूजा करने के बाद पटाखे फोड़ेंगे।
उधर, कुछ इलाके और उसके आसपास अधिकांश लोग अपने घरों से बाहर निकलते नहीं देखे गए। लक्ष्मी नगर के ललिता पार्क इलाके में शाम साढ़े सात बजे तक बहुत कम पटाखे फोड़े गए। स्थानीय लोगों ने कहा कि बाद में रात में आतिशबाजी बढ़ सकती है। पूर्वी दिल्ली के कई अन्य इलाकों में कम पटाखे फोड़े गए। हालांकि, इन इलाकों के निवासियों के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस साल आतिशबाजी न के बराबर हुई है। उच्चतम न्यायालय ने सात नवंबर को कहा था कि बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश हर राज्य पर लागू होता है और यह केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है, जो गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहा है।
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