जटाधारा से दर्शकों को चौंकाने वाली हैं Sonakshi Sinha
मुंबई। बालीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा अपनी अपकमिंग फिल्म जटाधारा से दर्शकों को चौंकाने वाली हैं। अपने आगामी द्विभाषी (हिंदी-तेलुगु) प्रोजेक्ट से तेलुगु सिनेमा में कदम रखने जा रहीं सोनाक्षी सिन्हा बड़े पर्दे पर पहली बार खलनायिका के रूप में नज़र आनेवाली हैं। हालांकि धन पिशाचिनी के रूप में उनका यह किरदार सिर्फ नकारात्मक ही नहीं, बल्कि बेहद शक्तिशाली और दमदार भी है। गौरतलब है कि जहां अधिकतर कलाकार अपने सकारात्मक किरदार को लेकर काफी सजग रहते हैं, वहां सोनाक्षी का यह कदम न सिर्फ साहसिक है, बल्कि उन्हें नए मुकाम पर ले जाने की काबिलियत को भी दर्शाता है। विशेष रूप से रहस्यवाद, आध्यात्मिक प्रतीकों और शक्ति के स्त्री रूप को एक रोचक सिनेमाई ताने-बाने में पिरोते हुए सोनाक्षी सिन्हा ने जिस तरफ अपना कदम बढ़ाया है, वो बॉलीवुड में उनकी बहुमुखी प्रतिभा को और निखारने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। गौरतलब है कि जटाधारा की कहानी काले जादू की रहस्यमयी दुनिया की झांकी पेश करती है, जहाँ तंत्र-मंत्र, गुप्त अनुष्ठान और प्राचीन श्राप आस्था और भय की सीमाओं को दर्शाया गया है।
ऐसे में यहाँ सोनाक्षी का किरदार सिर्फ एक खलनायिका का नहीं, बल्कि तंत्र और तांत्रिक शक्तियों से जन्मी एक भयावह सत्ता की भी है, जो कहानी को गहराई और नया आयाम देती है। हालांकि हाल ही में दुर्गा पूजा पर रिलीज़ हुआ सोनाक्षी का गाना “धना पिशाची” (हिंदी और तेलुगु में) पहले ही फिल्म के रहस्य और रोमांच को और बढ़ा चुका है। इसके अलावा गाने के दृश्यों में प्राचीन अनुष्ठान, भगवान शिव से जुड़े प्रतीक और पौराणिक छवियाँ सोनाक्षी की खलनायिका वाली भयावह छवि को और प्रभावशाली बनाते हैं। जटाधारा के साथ सोनाक्षी सिन्हा न सिर्फ तेलुगु सिनेमा में एंट्री कर रही हैं, बल्कि खुद को नए रूप में गढ़ रही हैं और यह साबित कर रही हैं कि खलनायिका की ताकत कभी-कभी नायक से भी ज़्यादा आकर्षक और प्रभावशाली हो सकती है। फिल्म में उनके अपोज़िट सुधीर बाबू नज़र आएंगे, जो कहानी को भावनात्मक गहराई देते हैं और अच्छाई और बुराई के संघर्ष को निजी और गहन बनाते हैं।
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