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Software Eng की जर्मनी में मौत, पिता की जयशंकर से गुहार-

Software Eng की जर्मनी में मौत, पिता की जयशंकर से गुहार- "मंत्री जी मेरे बेटे का शव मंगवा दो"

ग्वालियर। जर्मनी के म्यूनिख शहर में एक निजी कंपनी में काम करने वाले ग्वालियर के युवा प्रणीत राठौर की म्युनिख में हुई आकस्मिक मौत के बाद पिछले 4 दिनों से ग्वालियर में निवासरत उसका परिवार अपने बेटे के शव को भारत मे लाने के लिए परेशान है बेटे के पिता ने पीएम ऑफिस से लेकर ग्वालियर के दोनों केंद्रीय मंत्रियों और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पत्र लिखकर बेटे के शव को भारत लाने में मदद करने की अपील की है बुजुर्ग पिता का कहना है कि हर जगह मदद की गुहार लगाने के बावजूद अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी है मजबूरन उन्होंने एक निजी एजेंसी से भी संपर्क साधा है जिससे बेटे की मृत देह को गृह नगर लाकर उसका रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जा सके।

13 अगस्त को हुई प्रणीत की मौत

ग्वालियर के ललितपुर कॉलोनी में रहने वाले बाबू सिंह राठौर का बेटा प्रणीत राठौर प्राइवेट कंपनी इएसएसटीटीआई मैं काम करता था और पिछले 3 सालों से जर्मनी के म्यूनिख शहर में कार्यरत था 13 अगस्त की रात घर लौट कर सोने के बाद सुबह जब उसकी पत्नी ने जगाया तो प्रणीत उठ नहीं सका और जब डॉक्टर को दिखाया तो पता लगा कि प्रणीत की मौत हो चुकी है जिसके बाद उसके शव को मर्चरी में रखा गया है ।

पिता ने सीएम से लेकर केंद्रीय मंत्री तक को भेजे पत्र लेकिन कहीं से नही मिला कोई रिस्पांस

प्रणित के पिता बाबू सिंह बताते हैं कि पिछले 4 दिनों से उन्होंने अपने बेटे के शव को वापस भारत गृह नगर में लाने के लिए हर संभव प्रयास किया है । उनकी बहू नीलम राठौर और उनका मासूम 7 वर्षीय बच्चा भी म्यूनिख शहर में है जो कि अब पूरी तरह से अकेले पड़ चुके हैं ।इस संबंध में उन्होंने पीएमओ ऑफिस विदेश मंत्रालय भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी ट्वीट कर मदद मांगी है और पत्र भी लिखे हैं लेकिन अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई है ।बेटे के जाने के बाद पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट चुका है और बेटे के अंतिम संस्कार में हो रही देरी के कारण पूरा परिवार परेशान है जिसके कारण उन्होंने एक निजी एजेंसी की भी मदद ली है जिससे बेटे की मृत देह को जल्द से जल्द अपने गृह नगर लाकर पूरे रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया जा सके.

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