गली में खेला जाने वाला बच्चों का पारम्परिक खेल Sitauliya बना राज्य स्तरीय
उच्च शिक्षा विभाग के खेल कैलेंडर में शामिल
इन्दौर/ बचपन में गली में खेले जाने वाला खेल सितोलिया को उच्चशिक्षा विभाग ने अपने खेल कैलेंडर में शामिल कर लिया है। गलियों में खेले जाने वाले बच्चों के इस पारंपरिक खेल सितौलिया को पिट्टू भी कहा जाता है। जिसे उच्च शिक्षा विभाग ने अपने कैलेंडर में शामिल किया है । उच्च शिक्षा विभाग के खेल कैलेंडर में सितोलिया (पिट्ठू) के साथ ही मलखंब को भी शामिल किया गया है। अब महाविद्यालयों के छात्र खिलाड़ी इन दोनों खेलों में अपनी प्रतिभा का राज्य स्तर तक प्रदर्शन करते नजर आएंगे। विगत दिनों उच्चशिक्षा विभाग की राज्य स्तरीय खेल कैलेंडर तैयार करने से संबंधित समिति की बैठक का आयोजन किया गया जिसमें पिट्ठू और मलखंब को उच्च शिक्षा विभाग के खेल कैलेंडर में शामिल करने का निर्णय लिया गया। बैठक में उपसचिव उच्च शिक्षा विभाग डा. आर विजय व मध्य प्रदेश के सभी संभाग के चिह्नित महाविद्यालयों से क्रीड़ा अधिकारी और वरिष्ठ क्रीड़ा अधिकारी सम्मिलित हुए थे।
बैठक में खेलकूद मार्गदर्शिका-2013 के संशोधन पर विचार विमर्श के साथ उच्च शिक्षा विभाग के खेल कैलेंडर को आम सहमति से अंतिम रूप देते पारंपरिक खेल पिट्टू और मलखंब को कैलेंडर में सम्मिलित किया गया। ज्ञात हो कि पत्थरों की चिप्स और गेंद के साथ खेलें जाने वाले खेल सितोलिया को ही पिट्टू भी कहा जाता है। तकरीबन सभी ने बचपन में इस खेल को गली में दोस्तों के साथ खेला है। हालांकि गली में खेले जाने वाले बच्चों के इस पारंपरिक खेल में कोई नियम कायदे नहीं होते हैं परन्तु शिक्षा विभाग के खेल कैलेंडर नियम के अनुसार इसमें 10 खिलाड़ियों की टीम होगी, जिसमें से छह मैच खेलेंगे चार रिजर्व रहेंगे । मैच टाइम 25 मिनट का होगा जिसमें पांच-पांच मिनट के चार सेट होगें। जिसके ज्यादा अंक होंगे वहीं विजेता घोषित किया जाएगा।
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