SEBI पर सोनी के साथ विलय नाकाम करने के प्रयास का लगाया गया था आरोप
नई दिल्ली। सोनी पिक्चर्स के साथ 10 अरब डॉलर का प्रस्तावित सौदा रद्द होने के कुछ दिन पहले जी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर बाजार नियामक सेबी पर इस सौदे को नाकाम करने की कोशिश का आरोप लगाया था। सोनी पिक्चर्स नेटवर्क (अब कल्वर मैक्स) ने जी समूह की मीडिया फर्म जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के साथ विलय समझौते को खत्म करने की घोषणा कर दी है। उसने विलय प्रक्रिया को निर्धारित समयसीमा के भीतर न पूरा किए जाने पर इसे रद्द कर दिया है। दोनों पक्षों के बीच दिसंबर, 2021 में 10 अरब डॉलर का विलय समझौता हुआ था और इसे दो साल में पूरा किया जाना था। एक महीने की विस्तारित समयसीमा पूरी होने के बाद भी नई इकाई के नेतृत्व पर सहमति नहीं बन पाई थी। चंद्रा ने 16 जनवरी को लिखे इस पत्र में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) पर पूर्व-निर्धारित सोच से काम करने का आरोप लगाते हुए जी एंटरटेनमेंट के अल्पांश शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने का अनुरोध किया था।
इस पत्र में चंद्रा ने कहा कि जी एंटरटेनमेंट और अन्य सभी लोग कंपनी का पैसा दूसरी जगह भेजने के मामले की जांच में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कंपनी के पूर्व निदेशकों को सेबी की तरफ से नया नोटिस भेजे जाने पर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि मेरी चिंता इस नए नोटिस के समय और इसकी तात्कालिकता को लेकर है क्योंकि यह जी एंटरटेनमेंट और कल्वर मैक्स के विलय के पूरा होने की समयसीमा से मेल खाता है। चंद्रा ने कहा कि नोटिस में ऐसा कोई बिंदु नहीं है जो पहले से ही कंपनी के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है। चंद्रा ने सेबी पर पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अपीलीय न्यायाधिकरण सैट ने उन्हें और उनके बेटे पुनीत गोयनका को किसी भी सूचीबद्ध इकाई में प्रमुख पद रखने पर प्रतिबंध लगाने के सेबी के आदेश पर रोक लगा दी थी। चंद्रा ने कहा था कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस स्तर पर जी एंटरटेनमेंट के पूर्व निदेशकों को नोटिस भेजना मीडिया मंचों के जरिये मामले को सनसनीखेज बनाने की एक कवायद प्रतीत होता है।
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