अकोला लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे Prakash Ambedkar
हिंदी भाषी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में
मुंबई। अकोला से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पोते और वंचित बहुजन विकास आघाडी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से प्रकाश आंबेडकर ने 11 बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और दो बार जीतकर संसद में पहुंचे। हालांकि, 2004 से बीजेपी जीतती आ रही है। इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। इस बार भी प्रकाश आंबेडकर वंचित बहुजन से, कांग्रेस से डॉ. अभय काशीनाथ पाटील और बीजेपी से अनूप धोत्रे चुनाव मैदान में हैं। अकोला सीट से हिंदी भाषी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। अकोला जिला फूड प्रोसेसिंग के लिए जाना जाता है। यहां दालों का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है यहां से पूरे देश दाल सप्लाई की जाती थी, लेकिन कुछ सालों से दालों के गिरते उत्पादन पर ध्यान नहीं दिया गया। सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते फूड प्रोसेसिंग की कई यूनिट बंद पड़ी है। यहां पर सालों से एयरपोर्ट बनाने का काम चल रहा है, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो पाया है। इसलिए यहां से उद्योगों दूसरी जगह शिफ्ट हो रहे है, जिस पर किसी भी नेता का ध्यान नहीं है।
इस सीट का प्रतिनिधित्व 1952 से 1982 तक कांग्रेस ने किया। इसके बाद 1989 से 1996 के चुनाव में बीजेपी यहां से जीती। 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में प्रकाश आंबेडकर ने इस सीट पर कब्जा जमाया। इसके बाद 2004 से बीजेपी के संजय धोत्रे लगातार जीतते रहे हैं। अब उनकी तबीयत के चलते बीजेपी ने संजय के बेटे अनूप को टिकट दिया है। वंशवाद का विरोध करने वाली बीजेपी के सांसद पुत्र को टिकट देना भारी पड़ सकता है। बीजेपी के लोग ही विरोध कर रहे हैं और कह रहे कि क्या दूसरा कोई उम्मीदवार नहीं था? अनूप की दावेदारी को मजबूत करने नामांकन भरते समय खुद फडणवीस और विखे पाटील वहां मौजूद थे। अनूप के चुनाव प्रचार के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को बुलाने की मांग की जा रही है। इसके अलावा, बीजेपी के कई और नेता भी अनूप का चुनाव प्रचार करने आएंगे।
अकोला सीट पर करीब एक लाख हिंदी भाषी और करीब 2.50 लाख मुस्लिम वोटर हैं, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस ने इस बार हिंदू उम्मीदवार उतारा है। वहीं प्रकाश आंबेडकर का दावा है कि इस बार मुस्लिम उनका साथ दे रहे हैं। अगर मुस्लिम वर्ग ने वंचित बहुजन को बीजेपी की बी टीम माना, तो मुस्लिम वोट अहम भूमिका निभाएंगे। यहां पर 6 लाख मराठा, दो लाख बौद्ध और ओबीसी वोटर भी है। अब देखना है कि अकोला सीट किस के खाते में जाती है।
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