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  • Wednesday, 03 December 2025
हमारा रोल शांति स्थापना का है, Hamas को हथियार डालने पर मजबूर करना नहीं

हमारा रोल शांति स्थापना का है, Hamas को हथियार डालने पर मजबूर करना नहीं

पाकिस्तान सीजफायर के बाद गाजा में अपनी सेना भेजने को तैयार

इस्लामाबाद। पाकिस्तान हमास-इजराइल के बीच सीजफायर के बाद गाजा में सेना भेजने को तैयार है। इसकी पुष्टि पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने की। उन्होंने कहा कि उनका देश अंतरराष्ट्रीय शांति मिशन के तहत गाजा में सुरक्षाबलों को तैनात करेगा, लेकिन पाकिस्तान सैनिक फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास को हथियार डालने पर मजबूर नहीं करेंगे। हम वहां शांति के लिए जा रहे हैं। डार का ये बयान अमेरिकी मध्यस्थता वाले गाजा शांति समझौते पर चर्चा तेज होने के बीच आया है, जिसमें मुस्लिम बहुल देशों के सैनिकों से बने अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल की स्थापना का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि गाजा में सेना भेजने का फैसला पीएम शाहबाज ने फील्ड मार्शल से परामर्श के बाद लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इशाक डार ने कहा कि पाकिस्तान केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्पष्ट रूप से परिभाषित आदेश के तहत ही सेना भेजेगा और पाकिस्तानी सेना हमास को निरस्त्र करने में कोई भूमिका नहीं निभाएगी। डार ने जोर देकर कहा कि हमास को निरस्त्र करने का मुद्दा पहले रियाद में दो-राज्य समाधान पर हुई बातचीत के दौरान उठा था। पाकिस्तान इस तरह के किसी भी प्रयास में भाग नहीं लेगा। हम इसके लिए तैयार नहीं हैं।

हमारा रोल शांति स्थापना का है, न कि शांति लागू करने का। डार ने कहा कि पीएम शहबाज शरीफ ने सिद्धांत रूप से पाकिस्तान की भागीदारी पर सहमति दे दी है, लेकिन ये आईएसएफ के जनादेश और कार्यक्षेत्र के स्पष्ट होने पर निर्भर करेगा। इंडोनेशिया ने इस मिशन के लिए 20,000 सैनिकों की पेशकश की है। पिछले महीने अटकलें थीं कि पाकिस्तान को हमास को निरस्त्र करने की भूमिका सौंपी जा सकती है, जिससे देश में राजनीतिक विरोध पैदा हो गया था। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तो सरकारी प्रवक्ता के इस तरह के बयानों को बेबुनियाद और अस्वीकार्य बताकर निंदा भी की थी। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पिछले हफ्ते गाजा संघर्ष को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए एक अमेरिकी प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसमें आईएसएफ की तैनाती को भी अधिकार दिया गया था। पाकिस्तान समेत तेरह सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया, जबकि रूस और चीन ने मतदान से दूर रहे. हालांकि, हमास ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय बल की निंदा की थी।

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