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  • Friday, 22 November 2024
Bangladesh में अब यूनुस ने खाल‍िदा ज‍िया के अरमानों पर फेरा पानी

Bangladesh में अब यूनुस ने खाल‍िदा ज‍िया के अरमानों पर फेरा पानी

ढाका। शेख हसीना के देश छोड़कर भागने के बाद ऐसा लगा था क‍ि मुहम्‍मद युनूस की अंतर‍िम सरकार कुछ दिनों तक रहेगी और फ‍िर चुनाव होंगे। खाल‍िदा ज‍िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) इसमें खुद के ल‍िए रास्‍ता देख रही थी। लेकिन अब बीएनपी की सांसें फूलने लगी हैं। उसे डर सताने लगा है क्‍योंक‍ि ज‍िस तरह अंतर‍िम सरकार जड़ें फैला रही है, कहीं हमेशा के ल‍िए यही सरकार न रह जाए। इस बीच एक सर्वे बांग्‍लादेश की मीडिया में पब्‍ल‍िश हुआ है, जिसमें दावा क‍िया जा रहा है क‍ि देश की 80 फीसदी आबादी अंतर‍िम सरकार के कामकाज से खुश है और चाहती है क‍ि यही सरकार हमेशा के ल‍िए बनी रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि जनता लंबे समय तक अंतरिम सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। एक सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि 80 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि यह सरकार जब तक चाहे तब तक बनी रहे। बीएनपी महासचिव ने कहा, मेरा मानना है कि ऐसी बातें कहते या रिपोर्ट करते समय ध्‍यान रखना चाह‍िए, क्‍योंक‍ि इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।

ऐसी क‍िसी भी रिपोर्ट को सोच समझकर पब्लिश क‍िया जाना चाह‍िए। खाल‍िदा ज‍िया की पार्टी इस बात से डरी हुई है क‍ि अगर मुहम्‍मद यूनुस सत्‍ता न छोड़े तो क्‍या होगा। क्‍योंक‍ि 10 दिनों से बांग्‍लादेश की कई ताकतवर लॉबी ये बात फैला रही है क‍ि यूनुस सरकार नहीं जाने वाली है, क्‍योंक‍ि वे ऐसा काम कर रहे हैं, जिसे देश की जनता पसंद कर रही है। अगर इस सरकार ने वो कर ल‍िया जो जनता की चाहत है, तो बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बीएनपी चाहती है क‍ि जल्‍द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं। देश में एक चुनी हुई सरकार बने। चुने हुए जनप्रत‍िन‍िध‍ि ही ये फैसला लें क‍ि कौन से सुधार जरूरी हैं। संसद को ही निर्णय लेना चाह‍िए। संव‍िधान में बदलाव लाया जाए या फ‍िर नया संविधान लिखा जाए, ये सबकुछ निर्णय करने का अध‍िकार सांसदों को ही है। फखरुल ने कहा, मुझे बहुत आश्चर्य होता है जब मैं देखता हूं कि हाई प्रोफाइल लोग, जो समाज में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं, भ्रामक बयान दे रहे हैं। मैं इस बात से हैरान हूं कि इस सरकार द्वारा जिन लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें से कुछ अब कह रहे हैं कि एक नई पार्टी के गठन की जरूरत है। उन्हें यह अधिकार किसने दिया? उन्हें नई पार्टी बनाने का जनादेश कहां से मिला? “हम लोग कैसे भरोसा करें कि वे निष्पक्षता से काम कर रहे हैं?

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