शीत युद्ध के हथकंडों को अपना रहे NATO देश
- रूस बोला- हर तरह के खतरों से निपटने को तैयार; स्वीडन बनेगा 32वां सदस्य
विलिनियस। यूरोपीय देश लिथुएनिया में 2 दिन तक चली नाटो समिट यूक्रेन की सदस्यता पर बिना कोई अहम स्टैंड लिए ही खत्म हो गई। यूक्रेन को समिट में नाटो की सदस्यता पर बड़ी घोषणा होने की उम्मीद थी। इसके बदले उसे सुरक्षा के सहयोग का आश्वासन मिला।वहीं, रूस ने नाटो समिट के दौरान पुतिन के खिलाफ हुई बयानबाजी पर पलटवार किया है। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नाटो देश शीतयुद्ध के हथकंडों को अपना रहे हैं। इसे पैदा होने वाले खतरे का जवाब हम हर तरह से देने के लिए तैयार हैं। वहीं, इस समिट में स्वीडन की सदस्यता का रास्ता भी साफ हो गया है।
- बाइडेन ने पुतिन को सत्ता का लालची बताया
नाटो की बैठक में यूक्रेन को लंबी रेंज वाले हथियार देने की भी घोषणा हुई है। इस पर रूस ने कहा है कि अमेरिका के नेतृत्व में चंद देश जंग को लंबा खींचने के लिए ऐसा कर रहे हैं। वहीं, समिट के आखिरी दिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पुतिन के खिलाफ बयानबाजी की। उन्होंने कहा- पुतिन जमीन और सत्ता के लालची हैं, यूक्रेन पर हमला करते हुए उन्हें लगा था कि वो नाटो को तोड़ देंगे। पर वो गलत थे। नाटो अब और भी ताकतवर और एकजुट है। इसके जवाब में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि यूक्रेन को स्न-16 फाइटर जेट्स देकर नाटो देश रूस को परमाणु खतरे की तरफ धकेल रहे हैं। उन्होंने कहा- नाटो और अमेरिका की सैटेलाइट्स सीधे रूस से जंग का खतरा पैदा कर रही हैं, इसका अंजाम खतरनाक हो सकता है।
- 200 साल, 2 विश्व युद्ध में तटस्थ रहा स्वीडन यूक्रेन हमले से नाटो में शामिल
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मध्यस्थता से आखिरकार तुर्किये ने नाटो में स्वीडन के शामिल होने का रास्ता साफ कर दिया है। यूक्रेन पर रूस के हमले के 16 महीनों बाद नाटो का विस्तार बड़ी सफलता है। एक साल में नाटो में 2 नॉर्डिक देशों (फिनलैंड और स्वीडन) की सदस्यता से उसे उत्तरी यूरोप में रूस के खिलाफ नया रक्षा कवच मिलेगा।मार्च 2022 में यूक्रेन में रूस के हमले के बाद स्वीडन और फिनलैंड दोनों अपनी बरसों पुरानी तटस्थता की नीति को छोड़ते हुए अप्रैल 2022 में नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन किया था। फिनलैंड नाटो में 31वां सदस्य बन गया, लेकिन नाटो के मौजूदा सदस्यों तुर्किये और हंगरी के विरोध के चलते स्वीडन की सदस्यता अटक गई थी।अब वह नाटो का 32वां साथी बनने जा रहा है। स्वीडन के इस फैसले से न सिर्फ नाटो की ताकत बढ़ेगी, बल्कि रूस को रोकने में मदद मिलेगी। फिनलैंड के बाद स्वीडन के नाटो में आने से यूरोप को उत्तर में रूस खिलाफ मजबूत सेफ्टी वॉल मिलेगी।
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