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  • Sunday, 16 November 2025
Punjab में बाढ़ से 1600 से ज्यादा गांव प्रभावित, कई लाख हेक्टेयर की फसलें बर्बाद

Punjab में बाढ़ से 1600 से ज्यादा गांव प्रभावित, कई लाख हेक्टेयर की फसलें बर्बाद

बारिश से मकान की छत गिरी, परिवार बाल-बाल बचा, अब तक कई घर गिरे

चंडीगढ़। पंजाब के सभी 23 जिले बाढ़ से जूझ रहे हैं। इन जिलों के 1655 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। राज्य में बाढ़ से अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है। तकरीबन साढ़े तीन लाख लोग बाढ़ प्रभावित हैं। पंजाब में बाढ़ से हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। हालात को देखते हुए पंजाब सरकार ने पूरे राज्य को आपदा प्रभावित घोषित कर दिया है। दूसरी ओर बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पंजाब के सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और पॉलिटेक्निक 7 सितंबर तक बंद कर दिए गए हैं। बाढ़ से सबसे ज्यादा खेती को नुकसान पहुंचा है। 1.75 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फैली फसल बर्बाद हो गई है। कुल मिलाकर 3.55 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। वहीं, 19474 लोगों को बचाया गया है। पंजाब के फरीदकोट के कई गांव और निचले इलाकों में बारिश का पानी जमा हो रहा है। पिछले एक हफ्ते के भीतर फरीदकोट के कई इलाकों में बारिश की वजह से मकान गिर रहे हैं। करीब 6 घरों की छतें बारिश से गिर गई।

गुरुवार को फरीदकोट के कोटकपूरा के जैतो रोड पर भी भारी बारिश से एक मजदूर के घर की छत गिर गई। हालांकि इस घटना में परिवार बाल-बाल बच गया, लेकिन सामान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और प्रभावित परिवार समेत इलाके के लोगों ने प्रशासन और सरकार से मुआवजे की मांग की है। पंजाब के गवर्नर ने पठानकोट में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने कहा कि बाढ़ से पंजाब के सभी जिलों में सबसे ज्यादा पठानकोट, गुरदासपुर औक अमृतसर जिला प्रभावित हुआ है, जिसमें रावी नदी ने इन जिलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। लोग बेघर हो चुके हैं। सबसे ज्यादा तबाही पठानकोट के केजुलटी जिले में हुई है। वहीं, पठानकोट जिले के सबसे ज्यादा गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और पंजाब के प्रभावित जिलों की संपूर्ण जानकारी केंद्र सरकार को भेज दी गई है। \ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सतलुज और घग्गर नदी उफान पर हैं। माधोपुर हैडवर्क से पानी छोड़ने पर रावी का जलस्तर दोबारा बढ़ गया। पंजाब के सीएम भगवंत मान का कहना है कि पानी का स्तर घटने के बाद नुकसान का आकलन किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि पानी का स्तर घटने के बाद ही इन्फ्रास्ट्रक्चर और वित्तीय नुकसान का सही पता लगाया जा सकेगा, लेकिन अभी हजारों करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।

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