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  • Friday, 22 November 2024
जानें कितना खतरनाक हैं डंकी रूट जो India--America के रिश्तों में ला रहा दरार

जानें कितना खतरनाक हैं डंकी रूट जो India--America के रिश्तों में ला रहा दरार

वॉशिंगटन। अमेरिकी चकाचौंध का आकर्षण कहें या फिर रोजगार की तलाश, दुनिया की सबसे तेजी अर्थव्यवस्था भारत को छोड़कर अमेरिका में पहुंचने का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका जाने के लिए बड़ी संख्या में भारतीय हजारों डॉलर का भुगतान कर रहे हैं, लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है। इसमें आर्थिक के साथ ही जान का जोखिम भी है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में इस रूट का खुलासा हुआ है, जो कई देशों से गुजरता हैं। इस डंकी रूट के जरिए अमेरिका पहुंचने की चाह में फंसकर कई अपनी कमाई लुटा बैठते हैं। पीड़ित के हवाले से तैयार की गई रिपोर्ट में बताया कि अवैध रूप से अमेरिका जाने के लिए उन लोगों ने 50000 डॉलर एजेंट को दिए थे। यह जोखिम भरा सफर है, जो चिंताजनक चलन का हिस्सा है। वहीं इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में आप्रवासन एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। रिपोर्ट बताती है कि बीते चार सालों में अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वाले भारतीयों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में यह 8097 थी, जो 2022-23 में बढ़कर 96,917 हो गई है। हाल ही में बताया गया कि साल 2022 तक मैक्सिको और अल-सल्वाडोर के बाद अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वाला तीसरा सबसे बड़ा समूह बन गए हैं। भारत के हरियाणा और पंजाब के इलाके से युवा ज्यादा अमेरिका जाने की कोशिश करते हैं। हरियाणा के करनाल निवासी ने बताया कि उनके बड़े भाई ने बीते साल अमेरिका जाने की कोशिश की थी।

उन्होंने बताया कि परिवार ने भाई को डंकी रूट से अमेरिका में अवैध रूप से पहुंचाने के लिए 30,000 डॉलर जुटाए थे। डंकी मार्ग से अमेरिका जाने वाले सबसे पहले आसानी से वीजा मिलने वाले लैटिन अमेरिकी देशों में पहुंचते हैं। वहां, वे प्रवासी तस्करों से मिलते हैं जो उन्हें खतरनाक जंगलों से होकर अमेरिका-मैक्सिको सीमा तक ले जाते हैं। एक अन्य पीड़ित ने बताया कि फरवरी में भारत छोड़ा था। पहले वे दुबई गए और फिर अल्माटी कजाकिस्तान चले गए। वहां से वे तुर्की गए, जहां उन्होंने पनामा सिटी और फिर सल्वाडोर के लिए विमान में सवार हुए। वहां, उनकी मुलाकात तस्कर से हुई। यहां से उत्तरी ग्वाटेमाला की तरफ यात्रा का सबसे कठिन चरण शुरू हुई। इस यात्रा पर जाने के पहले उनका फोन बंद किया गया। अमेरिका पहुंचने के बाद वे कस्टम और बॉर्डर अधिकारियों के हाथों पकड़ने का इंतजार करते हैं। कस्टम अधिकारी के आने पर वहां पहुंचे लोग खुद को देश में पीड़ित होने और खतरे में होने का दावा कर शरण की मांग करते हैं। अधिकारी पहले यह निर्धारित करते हैं कि व्यक्ति शारीरिक रूप से खतरे में है या नहीं। इसके बाद उन्हें पानी की बोतल दी जाती है। अमेरिका के कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति शरण का दावा करता है, तब उस शख्स को अपना मामला रखने के लिए सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए। कस्टम अधिकारी उनकी सुरक्षा जांच करते हैं और प्रवासियों का साक्षात्कार लिया जाता है। जांच के बाद अधिकारी यह निर्णय लेता है कि उनके शरण आवेदन पर विचार करना है या नहीं।

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