रचनात्मकता को ‘बीमारी’ से जोड़ना जरूरी नहीं: Shekhar Kapoor
मुंबई। हाल ही में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने रचनात्मकता, मानसिक स्वास्थ्य और कलाकारों की आंतरिक दुनिया को लेकर भावनात्मक पोस्ट साझा की है। शेखर कपूर ने मशहूर चित्रकार विंसेंट वैन गॉग की पेंटिंग स्टारी नाइट का उदाहरण देते हुए यह बताया कि कैसे एक कलाकार अपने मानसिक संघर्षों के बीच भी ऐसी कला रच सकता है, जो पूरी दुनिया को चौंका दे। उन्होंने यह भी कहा कि रचनात्मकता को ‘बीमारी’ से जोड़ना जरूरी नहीं है, लेकिन इन दोनों के बीच गहरा रिश्ता जरूर है, जिसे समझने की जरूरत है। शेखर कपूर ने इंस्टाग्राम पर लिखा कि वैन गॉग ने यह चित्र उस समय बनाया जब वे मानसिक रूप से बेहद परेशान थे और अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने खुद के अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि जब वह कोई कहानी लिखते हैं, तो वे पूरी तरह उस काल्पनिक दुनिया में खो जाते हैं, उस हद तक कि वे खुद को अपने किरदारों में बदल लेते हैं। उनका सवाल था: क्या यह एक तरह की मानसिक स्थिति नहीं है?
उन्होंने गहरी बात करते हुए कहा कि वह शुक्रगुजार हैं कि वह उस दुनिया से वापस लौटकर अपनी सामान्य जिंदगी जी पाते हैं, लेकिन वैन गॉग जैसे कई कलाकार ऐसा नहीं कर पाए। पोस्ट में कपूर ने यह भी पूछा कि जो अवस्था हम ‘सामान्य’ मानते हैं और जिसे हम ‘बीमारी’ कहते हैं, क्या उनकी परिभाषाएं वाकई सही हैं? कपूर ने कहा कि बहुत से कलाकार जब रचनात्मक प्रक्रिया में होते हैं, तो वे एक खास जोन में चले जाते हैं – एक ऐसी मानसिक और भावनात्मक अवस्था, जो उन्हें कुछ अलग देखने, महसूस करने और गहराई से रचने की क्षमता देती है। उन्होंने पूछा, “क्या यही जोन भी एक तरह की सिजोफ्रेनिक अवस्था है?” शेखर कपूर ने समाज से अपील की कि रचनात्मकता और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर पुराने नजरिए को बदलने की जरूरत है।
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