Israel हमले में ईरान वायु सुरक्षा पड़ी कमजोर, अब रुस से खरीदेगा एस-400 विमान
यह दुनिया की सबसे अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली, भारत भी खरीद चुका है
तेहरान। इजराइल के हवाई हमलों ने ईरान की वायु सुरक्षा व्यवस्था की सीमाओं को उजागर कर दिया है, जिससे तेहरान अपने वायु सुरक्षा को और ज्यादा मजबूत करने की कोशिश में जुट गया है। बता दें शनिवार को इजराइल के 100 से ज्यादा लड़ाकू विमानों ने ईरानी सैन्य ठिकानों और मिसाइल निर्माण सुविधाओं पर हमला किया था, जिसके बाद ईरान ने रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली और एसयू-35 लड़ाकू विमान हासिल करने की योजना बनाई है। एस-400 को दुनिया की सबसे अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों में गिना जाता है और रूस ने यह सिस्टम भारत जैसे देशों को भी दिया है। ईरान के पास पहले से रूस की एस-300 वायु रक्षा प्रणाली है, लेकिन इजराइल के एफ-35 और एफ-16 विमानों के हमले को रोकने में यह कारगर नहीं साबित हुई। इसी कारण अब ईरान एस-400 प्रणाली को अपने बेड़े में शामिल करेगा ताकि अपनी सुरक्षा और मजबूत कर सके। एस-400 प्रणाली हासिल करने से ईरान की हवाई सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और उसकी वायु सेना इजराइल से मुकाबला करने में सक्षम हो सकेगी।
ईरान ने अपने दशकों पुराने वायु सेना बेड़े को उन्नत करने के लिए रूस से एसयू-35 लड़ाकू विमान भी ऑर्डर किए हैं। पायलटों का प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे का विकास, और जमीनी सहायता उपकरण की व्यवस्था में समय लगेगा। इसके बावजूद यह कदम ईरान की सुरक्षा प्रणाली में आंशिक सुधार लाएगा। हालांकि एसयू-35 और एस-400 प्रणाली की प्राप्ति से ईरान की हवाई सुरक्षा में सुधार होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। सऊदी अरब और यूएई जैसे ईरान के प्रतिद्वंद्वी देशों के पास ज्यादा उन्नत और अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियां हैं, जिनसे ईरान को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में ईरान अपनी सुरक्षा के लिए ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों पर भी निर्भर रहेगा। इस घटना पर इजरायली राजदूत ने कहा कि ईरान की सैन्य शक्ति और सुरक्षा प्रणालियों की कमियां अब उजागर हो चुकी हैं, जिससे इजराइल को बढ़त मिली है। इजराइल ने यह दावा किया है कि वे ईरान के अंदर कहीं भी हमला करने की क्षमता रखता हैं और इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पश्चिम एशिया में तनाव और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों में बढ़ोतरी हो सकती है।
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