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  • Wednesday, 03 December 2025
Iran-Pakistan ने दस हजार अफगान शरणार्थियों को जबरदस्ती निकाला

Iran-Pakistan ने दस हजार अफगान शरणार्थियों को जबरदस्ती निकाला

अफगानी कलाकार समेत 400 नागरिकों ने पेशावर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

काबुल। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तनाव के बीच ईरान और पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के भारी संख्या में निकाले जाने की खबरें सामने आ रही हैं। तालिबान के एक बड़े अधिकारी ने कहा है कि बुधवार को एक ही दिन में 10,000 से ज्यादा अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान और ईरान से निकाल दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानी अधिकारी ने इस संबंध में हाई कमीशन की रिपोर्ट साझा की है। रिपोर्ट में तालिबान के डिप्टी प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत ने बताया कि बुधवार को 1,763 अफगान परिवार, जिनमें 10,405 लोग थे, अफगानिस्तान वापस लौट आए हैं। फितरत ने कहा कि 2,222 अफगान रिफ्यूजी परिवारों को अपने-अपने इलाकों में ले जाया गया। इन परिवारों में कुल 13,303 लोग शामिल थे। वहीं 1,534 को मानवीय सहायता दी गई। इससे पहले ईरान और पाकिस्तान से मंगलवार को 7,326 अफगान रिफ्यूजी को डिपोर्ट किया था। रविवार को ईरान और पाकिस्तान से जबरदस्ती डिपोर्ट किए जाने के बाद करीब 12,666 अफगान रिफ्यूजी अफगानिस्तान लौट आए। हालांकि, अफगानी कलाकार और उनके परिवारों समेत करीब 400 नागरिकों ने पेशावर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने पेशावर कोर्ट के जज से गुजारिश की है कि सरकार को नॉन-रिफाउलमेंट के सिद्धांत के हिसाब से उन्हें जबरदस्ती डिपोर्ट करने से रोकने का आदेश दिया जाए।

इन लोगों का कहना है कि अगर इन्हें पाकिस्तान से डिपोर्ट किया गया, तो उन्हें अपने देश में जुल्म का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच अफगान नागरिकों ने कोर्ट में एक संयुक्त याचिका दायर की है। इसमें सरकार से रिफ्यूजी के तौर पर उन्हें पाकिस्तान में रहने की इजाजत देने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। वहीं, पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक याचिका डालने वाले का नाम जकिया दुनिया गजल है। उनके साथ कई दूसरे अफगान कलाकार और उनके परिवार भी शामिल हैं। जकिया ने 13 दिसंबर, 2024 को हाईकोर्ट के पहले के एक फैसले का जिक्र किया और कोर्ट से उसके हिसाब से फैसला सुनाने का आग्रह किया है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि जब से अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा किया है, तब से कलाकारों और गायकों के लिए अफगानिस्तान में रहना खतरनाक हो गया है। तालिबानी हुकूमत म्यूजिक कॉन्सर्ट वगैरह जैसी एक्टिविटीज का खुलकर विरोध करती है। उन्होंने दावा किया कि वे अफगानिस्तान से भागने के बाद अपने परिवारों के साथ पेशावर में बस गए थे। पाकिस्तान की वापस भेजने की पॉलिसी मौजूदा यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज एग्रीमेंट और पाकिस्तान के अपने इंटरनेशनल कमिटमेंट के खिलाफ है।

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