Electronic उत्पादों का अड्डा बनेगा भारत
वैश्विक ब्रांड बनने मिल सकती है 44,000 करोड़ की मदद
नई दिल्ली। देसी कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक एवं सेमीकंडक्टर उत्पाद तैयार करने और वैश्विक ब्रांड बनने में मदद करने के लिए 44,000 करोड़ रुपये आवंटित करने की सिफारिश की जा सकती है। भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सेमीकंडक्टर का अड्डा बनाने के मकसद से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा गठित कार्यबल अपनी रिपोर्ट में इसकी सिफारिश कर सकता है। कार्यबल रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रहा है और उसमें 2024 से 2030 के बीच आवंटन की बात होगी। कार्यबल के एक सदस्य ने बताया कि सिफारिश के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों (सिस्टम) के लिए 15,000 करोड़ रुपये, सेमीकंडक्टर उत्पादों के लिए 11,000 करोड़ रुपये और प्रतिभा विकास, साझा बुनियादी ढांचा, लॉजिस्टिक्स एवं प्रौद्योगिकी व आईपी (बौद्धिक संपदा) जैसे प्रोत्साहनों के लिए 18,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया जा सकता है।
सरकार से मंजूरी मिल गई तो तो यह आवंटन मोबाइल उपकरण एवं इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लगभग बराबर होगा। सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार अजय के सूद की अध्यक्षता में इस कार्यबल का गठन पिछले साल मार्च में हुआ था। इसमें एचसीएल के संस्थापक एवं एपिक फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय चौधरी, डिक्सन टेक्नोलॉजिज के एमडी सुनील वचानी, तेजस के पूर्व एमडी संजय नायक, वीवीडीएन टेक्नोलॉजिज के सीईओ पुनीत अग्रवाल, बोट के संस्थापक अमन गुप्ता, आईसीईए के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुशील पाल और दूरसंचार विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के प्रतिनिधि शामिल हैं।
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