
Pakistan का पानी रुका तो मचेगी हाहाकार, कृषि को होगा भारी नुकसान
इस्लामाबाद। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की जान चली गई। आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने पांच बड़े फैसले लिए। इस हमले को पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने अंजाम दिया है। भारत ने साफ कहा है कि अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी होगी। इसके बाद ही भारत ने पाकिस्तान की सबसे कमजोर नस पर वार करने का फैसला लिया। भारत ने पांच बड़े कदम उठाए जिसमें सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया। अटारी चेक पोस्ट बंद कर दी। सार्क वीजा छूट योजना रद्द कर दी, पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित किया गया और उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या में कटौती की गई है। इनमें से सिंधु जल संधि का निलंबन सबसे अहम फैसला है। यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में लागू की गई थी। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे का आधार है। 1965, 1971 के युद्धों और 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी बरकरार रही, लेकिन इस बार पाकिस्तान ने हद ही कर दी। पाकिस्तान के आतंकियों ने आम भारतीयों को निशाना बनाया और वह भी धर्म पूछ कर। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान होना तय है। भारत के इन कदमों से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है।
बता दें पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाने की घोषणा की है, जिसमें भारत के कदमों का ‘उचित जवाब’ देने की बात कही गई है। आसिफ ने दावा किया है कि भारत एकतरफा रूप से सिंधु जल संधि को रद्द नहीं कर सकता, क्योंकि इसमें विश्व बैंक जैसे अन्य हितधारक शामिल हैं। हालांकि आसिफ मुगालते में जी रहे हैं, क्योंकि भारत ने जल संधि को सस्पेंड कर दिया है। संभव है कि पाकिस्तान इसके लिए दुनिया में आवाज उठाए, लेकिन तब तक उसे भारी नुकसान हो चुका होगा। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत के कदमों को अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना बताया है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सांसद इरफान सिद्दीकी ने इस आतंकी हमले को फर्जी ऑपरेशन करार दिया, वह भी तब जब आतंकी संगठन खुद चीख-चीख कर हमले की जिम्मेदारी ले रहा है। सिद्दीकी का दावा है कि पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए ऐसा किया गया है। यह संधि, सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी पश्चिमी नदियों का 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को देती है। आज भी जब इस संधि की समीक्षा होती है तो एक्सपर्ट्स इसे भारत की बड़ी उदारता के तौर पर देखते हैं। यह अब तब तक के लिए निलंबित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं कर देता। यह फैसला पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, खासकर इसके कृषि क्षेत्र के लिए बड़ा झटका है।
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