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  • Wednesday, 05 February 2025
सबको लगता है कि मैं मूडी हूं: Kritika Kamra

सबको लगता है कि मैं मूडी हूं: Kritika Kamra

मुंबई। आगामी दिनों में ‘मटका किंग’ वेब सीरीज में नजर आने वाली अभिनेत्री कृतिका कामरा भी अपने काम को लेकर सेलेक्टिव हैं। वह कहती हैं, ‘सबको लगता है कि मैं मूडी हूं, इसलिए चूजी हूं। ऐसा नहीं है। सोच-समझकर चूजी रहना पड़ता है क्योंकि हमारी जो इंडस्ट्री है, वह कुछ उसूलों पर चलती है। उनमें से एक उसूल यह भी है कि आप अगर ओवर एक्सपोज होंगे, तो वह आपके लिए बुरा है।’ टीवी धारावाहिकों में रोमांटिक भूमिकाओं से शुरुआत करने वाली कृतिका कामरा ओटीटी पर गैंगस्टर बन गई हैं और अब वे दिखेंगी ‘मटका किंग’ में। मुंबई की चमकीली दुनिया से मिली सीख के बारे में उन्होंने बातचीत की। कई कलाकार चुनिंदा काम करना ही पसंद करते हैं। ओवर एक्सपोज का मुद्दा साफ करते हुए कृतिका कहती हैं कि अगर आप एक ही तरह के रोल करते रहेंगे, तो आपको स्टीरियोटाइप कर दिया जाएगा। कई चीजें हैं, जो सोचनी पड़ती है। एक्टिंग तो कलाकारों को सबसे आसान लगती है, उसके अलावा जो करियर मैनेजमेंट करना पड़ता है, वह कठिन काम होता है। खासकर तब, जब आपके पास मार्गदर्शक न हो। वे अपना अनुभव स्पष्ट करती हैं, ‘मैं आउटसाइडर रही हूं।मेरे परिवार का फिल्मों से कोई रिश्ता नहीं था। आप अपने ही अनुभवों और गलतियों से सीखते हैं। मैं अपने नियंत्रण में रहना चाहती हूं। मैं कोई भी ऐसी चीज नहीं करना चाहती हूं, जिसे लेकर मुझे पछतावा हो, इसलिए मैं फूंक-फूंककर कदम रखती हूं।’क्या स्टीरियोटाइपिंग से बचना इस इंडस्ट्री में बहुत मुश्किल है? इस पर कृतिका कहती हैं, ‘अगर मुझे स्टीरियोटाइप ही करना है तो एक मजबूत लड़की, जो अपना दिमाग इस्तेमाल करती है या फिर अपनी राय देने से पीछे नहीं हटती है, उस छवि में बांध दो, मुझे कोई दिक्कत नहीं है। वह टैग मुझे पसंद है।

वैसे किरदार देखने को नहीं मिलते हैं।अब आधुनिक महिला की भूमिका-चाहे वह कामकाजी हो या गृहणी हो- निभाने में मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं आज की सशक्त लड़की की भूमिका निभाना चाहती हूं।’भूमिकाओं के साथ सिनेमा पर भी कृतिका का स्पष्ट दृष्टिकोण है। उनके मुताबिक, ‘सिनेमा केवल मनोरंजन के लिए नहीं है, मेरा मानना है कि यह शिक्षित भी करता है। मैं कहानियां तो नहीं लिख सकती हूं, लेकिन मैं उन कहानियों के साथ जुड़ सकती हूं, जो समाज को लेकर कुछ बता रही हैं, आइना दिखा रही हैं। कुछ फिल्ममेकर्स हैं, जो इन कहानियों को लेकर सतर्क हैं, वह कुछ कहना चाहते हैं, मनोरंजन के साथ एक कदम आगे बढ़कर सार्थक काम भी करना चाहते हैं। ऐसी कहानियों में महिलाओं के लिए अच्छे रोल होते हैं। ऐसे फिल्ममेकर्स ऑडिशन के जरिए ही कास्टिंग करते हैं, वह स्टार की तलाश नहीं करते हैं। मुझे जब भी मौका मिलता है, मैं जरूर जाकर आडिशन देती हूं। मुझे आडिशन के जरिए ही ‘मुंबई मेरी जान’ और ‘ग्यारह ग्यारह’ जैसी वेब सीरीज में दमदार रोल मिले। ‘मुंबई मेरी जान’ में मैंने गैंगस्टर का रोल निभाया था, उस रोल में मेरी कोई कल्पना ही नहीं कर सकता था।

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