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  • Friday, 22 November 2024
हिंदुओं की बढ़ेगी मुश्किलें: Bangladesh के संविधान से हट जाएगा सेक्युलर शब्द, युनूस बदलने जा रहे संविधान?

हिंदुओं की बढ़ेगी मुश्किलें: Bangladesh के संविधान से हट जाएगा सेक्युलर शब्द, युनूस बदलने जा रहे संविधान?

ढाका। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में नई सरकार के सत्ता में आने के बाद, देश की राजनीति और सामाजिक संतुलन में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमान ने देश के संविधान से सेक्युलर शब्द हटाने की मांग उठाई है, जिससे बांग्लादेश के भविष्य के धार्मिक और राजनीतिक स्वरूप को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। अदालत में 15वें संवैधानिक संशोधन की वैधता पर सुनवाई के दौरान असदुज्जमान ने जस्टिस फराह महबूब और देबाशीष रॉय चौधरी की पीठ के सामने कहा कि बांग्लादेश की 90 प्रतिशत मुस्लिम आबादी को देखते हुए अल्लाह में आस्था और बांग्ला राष्ट्रवाद जैसे प्रावधानों को मजबूत किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में, असदुज्जमान ने बांग्लादेश की संविधान में किए गए कई संशोधनों का विरोध किया, जिनमें शेख हसीना के पिता, शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता घोषित करने का प्रावधान भी शामिल है। उन्होंने तर्क दिया कि इस प्रकार के कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित कर सकते हैं और इससे देश में सामाजिक विभाजन भी हो सकता है। उन्होंने अदालत से इन संवैधानिक संशोधनों को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है।

यूनुस सरकार के आते ही हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं में वृद्धि की रिपोर्ट्स भी सामने आ रही हैं। विशेष रूप से दुर्गा पूजा जैसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में कई बाधाएं डाली गईं, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय में सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर आशंकाएं बढ़ गई हैं। सरकार के प्रति नाराजगी के बीच, बांग्लादेश में कई स्थानों पर हिंदू मंदिरों पर हमले और हिंसा की घटनाओं ने हिंदू समुदाय को भयभीत कर दिया है। यूनुस सरकार ने भारत के प्रति सख्त रवैया अपनाते हुए कई बार भारत को लेकर नकारात्मक बयान भी दिए हैं। यहां तक कि हाल ही में आई बाढ़ के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने और शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर भी सरकार ने आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाया है। बांग्लादेश में बढ़ते इस कट्टरपंथी रुख और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं ने भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक रिश्तों पर भी असर डालने की आशंका बढ़ा दी है। भारतीय कूटनीतिक समुदाय अब इस पर नजर बनाए हुए है कि आने वाले समय में इन संवैधानिक और धार्मिक परिवर्तनों से क्षेत्रीय स्थिरता पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ेगा।

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