चीन ने अपनी जबरदस्ती की नीतियों से उसके हितों, सुरक्षा और मूल्यों को चुनौती दी है : NATO
बीजिंग। बीजिंग में नाटो ने जहां चीन को गुट के हितों को लेकर दी गई प्रतिक्रिया पर निशाना बनाया है वहीं चीन ने भी गुट के हितों व सुरक्षा को लेकर चुनौती दी है। नाटो ने इस आरोप पर पलटवार किया कि चीन गुट के हितों और सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है और उसने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने पदचिह्न का विस्तार करने के लिए सैन्य गठबंधन के किसी भी प्रयास का विरोध किया।
लिथुआनिया की राजधानी विनियस में दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के बीच में कड़े शब्दों में जारी एक विज्ञप्ति में नाटो ने कहा कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) ने अपनी महत्वाकांक्षाओं और जबरदस्ती नीतियों से उसके हितों, सुरक्षा और मूल्यों को चुनौती दी है। नाटो राष्ट्राध्यक्षों ने कहा कि पीआरसी अपने वैश्विक पदचिह्न और परियोजना शक्ति को बढ़ाने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग करती है, जबकि अपनी रणनीति, इरादों और सैन्य निर्माण के बारे में अपारदर्शी रहती है।
नाटो के अनुसार पीआरसी के दुर्भावनापूर्ण हाइब्रिड और साइबर ऑपरेशन और इसकी टकरावपूर्ण बयानबाजी और दुष्प्रचार मित्र राष्ट्रों को निशाना बनाते हैं और गठबंधन की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाते हैं। यूरोप में चीनी मिशन ने एक बयान में कहा कि चीन-संबंधी सामग्री में बुनियादी तथ्यों की अनदेखी की गई है, चीन की स्थिति और नीतियों को विकृत किया गया है और जानबूझकर चीन को बदनाम किया गया है।
चीन ने कहा कि हम इसका दृढ़ता से विरोध करते हैं और इसे अस्वीकार करते हैं। नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने शिखर सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि हालांकि चीन नाटो का प्रतिद्वंद्वी नहीं है, लेकिन वह अपने जबरदस्ती वाले व्यवहार से नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती दे रहा है। उन्होंने कहा कि चीन तेजी से नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती दे रहा है।
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