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  • Saturday, 15 November 2025
“हिन्दी और लोक साहित्य को समर्पित National Seminar एवं अलंकरण समारोह-2025 सम्पन्न“

“हिन्दी और लोक साहित्य को समर्पित National Seminar एवं अलंकरण समारोह-2025 सम्पन्न“

ग्वालियर/शासकीय केन्द्रीय पुस्तकालय ग्वालियर (म.प्र.) एवं ग्वालियर साहित्य संस्थान (म.प्र.) के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 28 जून 2025 (शनिवार) को सुबह 11ः00 बजे शासकीय केन्द्रीय पुस्तकालय के सभागार हाॅल में “राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं अंलकरण समारोह-2025“ का आयोजन संपत्र हुआ। इस कार्यक्रम में श्रीमती गुम्पी ङूसो लोम्बि (सुप्रसिद्ध कवियित्री एवं लोक कथाकार, हिन्दी अधिकारी, राजीव गांधी विश्वविद्यालय अरुणाचल) का हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार भारतीय भाषाओं के प्रति समर्पण, लोक साहित्य संरक्षण तथा अरुणाचल प्रदेश की प्रथम हिन्दी अधिकारी एवं साहित्य विशेषज्ञ के रूप में विशिष्ट योगदान के लिये “राष्ट्रीय लोक साहित्य अलंकरण“ से अलंकृत किया गया साथ ही कविवर घनश्याम कश्यप जी की स्मृति में लोक साहित्य “प्रगति और परंपरा“ का लोकार्पण भी किया गया, जो लोक साहित्य की परंपराओ और समकालीन प्रवृतियों पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक हैं। इस समारोह में श्रीमती गुम्पी ङूसो लोम्बि (सुप्रसिद्ध कवियित्री एवं लोक कथाकार, हिन्दी अधिकारी, राजीव गांधी विश्वविद्यालय अरुणाचल) मुख्य अतिथि, डाॅ. केशव पाण्डेय (वरिष्ठ पत्रकार) एवं डाॅ राजरानी शर्मा (पूर्व अध्यक्ष, हिन्दी अध्ययन मण्डल, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर) विशिष्ट अतिथि, विवेक कुमार सोनी (पुस्तकालय प्रबंधक, शा.के. पुस्तकालय ग्वालियर) मुख्य समन्वयक के रूप में उपस्थित रहे।


इस अवसर पर श्रीमती गुम्पी ङुसो लोम्बि ने कहा कि “हिन्दी केवल एक भाषा नही, बल्कि भारत की आत्मा हैं, लोक साहित्य में हमारी सांस्कृतिक जड़े छुपी हैं, अरुणाचल प्रदेश जैसे सुदूर क्षेत्रों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के पीछे यही भावना है कि हम भाषा के माध्यम से पूरे देश को एक सूत्र में बाॅध सकें, हिन्दी एक भावनात्मक सेतु है जो हमें उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक जोड़ता हैं, मेरा सौभाग्य रहा कि मैंने प्रदेश में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को जोड़ने का कार्य किया, मैं मानती हूॅ कि जब तक हम अपनी भाषाओं और लोक परंपराओं से जुड़े रहेंगे, तब तक हमारी पहचान सुरक्षित रहेगी, इस सम्मान के लिये मैं ग्वालियर की साहित्यिक भूमि को नमन करती हूॅ।“ डाॅ. केशव पाण्डेय ने कहा कि “साहित्य समाज का दर्पण है, आज जब तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है, तब लोक साहित्य हमें हमारी पहचान, मूल्य और परंपराओं से जोड़े रखने का कार्य कर रहा हैं।“
कार्यक्रम की अध्यक्ष्ता डाॅ. भगवानस्वरूप चैतन्य (पूर्व निदेशक, तुलसी शोध संस्थान, चित्रकूट) करेंगे, डाॅ. ज्योति उपाध्याय (प्राचार्य, शा.वी.आर.जी. काॅलेज मुरार ग्वालियर) सारस्वत अतिथि,के रूप में एवं श्रीमती पूजा साहू (ग्रंथपाल), डाॅ. लालजी, प्रवीण कम्ठान जी, डाॅ. कल्पना शर्मा,डाॅ. गिरिजा नरवरिया, डाॅ. मुक्ता अग्रवाल, डाॅ. मान्यता सरोज, डाॅ. रिचा सत्यार्थी,डाॅ. विजय कृष्ण योगी, श्रीमती मधुलिका सिंह, डाॅ. पदमा, डाॅ. अलका मौर्य, बी.एल. शर्मा, डाॅ. उपमा भटनागर एवं दानवीर सिंह राजपूत सहित ग्वालियर के साहित्यकार, शोधार्थी एवं शिक्षाविद उपस्थित रहे, डाॅ. चैतन्य ने कार्यक्रम में सभी का आभार व्यक्त किया, राष्ट्रगान के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया।

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