युद्धरत Israel की अर्थव्यवस्था में 2 फीसदी गिरावट
- रिसर्च सेंटर ताउब सेंटर फॉर सोशल पॉलिसी स्टडीज इस्राइल-हमास वार का अनुमान
तेल अवीव। इजरायल और हमास के मध्य जंग में जहां हमास का ठिकाना गाजा पट्टी ध्वस्त हो गया, तो वहीं इस युद्ध में इजरायल की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है। एक रिचर्स सेंटर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जंग के बीच देश की अर्थव्यवस्था में इस तिमाही 2 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। इसके पीछे कई कारण भी बताते हुए कहा गया है कि इस युद्ध ने इजरायली इकोनॉमी को बुरे दौर में पहुंचाया है।सूत्रों के मुताबिक, जाने-माने रिसर्च सेंटर ताउब सेंटर फॉर सोशल पॉलिसी स्टडीज इस्राइल-हमास वार में इकोनॉमी को हुए नुकसान को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सबसे बड़ा नुकसान कामगारों की कमी को बताया गया है। इसमें कहा गया है कि हमास से युद्ध के चलते हजारों कामगारों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना और काम से दूर हो जाना, देश की आर्थिक गति पर ब्रेक लगाने वाला साबित हुआ है।ताउब सेंटर फॉर सोशल पॉलिसी स्टडीज के मुताबिक, अक्टूबर 2023 में लेबर मार्केट में से करीब 20 फीसदी इजरायली वर्कफोर्स गायब हो गई और खास बात ये है कि हमास के साथ युद्ध की शुरुआत यानी 7 अक्टूबर 2023 के बाद इसमें एकदम से 17 फीसदी का उछाल आया। रिपोर्ट की मानें तो इस्राइल में कुल कामगारों में से गायब हुआ ये फीसदी हिस्सा तकरीबन 9,00,000 होता है। युद्ध बढ़ने के बाद इजरायल में बड़ी तादाद में लोगों को सेना में रिजर्व के तौर पर शामिल किया गया। इससे काम घंधों पर असर पड़ा और इकोनॉमी की रफ्तार सुस्त पड़ गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस युद्ध के चलते गाजा पट्टी से सटी सीमाओं पर हमलों की आशंका से इन क्षेत्रों में कामधंधे ठप पड़े हुए हैं। कामगार आबादी के एक बड़े हिस्से का कामकाज से दूर होना सीधे तौर पर इजरायली अर्थव्यवस्था पर असर डाल रहा है। ताउब सेंटर की ओर से ये अनुमान बेरोजगारी भत्तों के आवेदन के आधार पर लगाया गया है।बीते 7 अक्टूबर को युद्ध की शुरुआत के बाद से 24 दिसंबर तक इजरायल में 1,91,666 लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया है। इनका कहना है कि हमास से युद्ध से पहले वे काम करते थे, जंग के बीच उन्हें बिना वेतन के जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया। सेना में ड्यूटी के लिए बुलाए गए रिजर्विस्टों में से 1,39,000 को लेबर मार्केट से बुलाया गया है। जिसके चलते तमाम इंडस्ट्रीज पर असर हुआ है।ताउब सेंटर से पहले इस्राइल-हमास वार पर आने वाले खर्च को लेकर देश के सबसे बड़े बैंक हापोलिम ने संभावना व्यक्त की है कि हमास के खिलाफ शुरू जंग में इजरायल का 27 अरब शेकेल खर्च हो सकता है। जो अमेरिकी मुद्रा में करीब 6.8 अरब डॉलर और भारतीय करेंसी में लगभग 56,804 करोड़ रुपये होता है। बैंक हापोलिम के मुख्य रणनीतिकार मोदी शफरीर के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मौजूदा युद्ध की लागत इजरायल के सकल घरेलू उत्पाद (इस्राइल जीडीपी) का कम से कम 1.5 फीसदी तक हो सकती है।
अब ताउब सेंटर ने इसके 2 फीसदी तक गिरने की बात कही है।
गौरतलब है कि इजरायल को आर्थिक रूप से मजबूत देश माना जाता है। इसकी जीडीपी साल 2023 में 564 अरब डॉलर है, वहीं इसकी प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो ये लगभग 58,000 डॉलर है। जो अपने आप में काफी ज्यादा है। देश की इकोनॉमी की सबसे बड़ी ताकत की बात करें तो ये निर्यात है। इसके कारोबारी रिश्ते अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे बड़े देशों के साथ है। इजरायल से मोती, हीरे-ज्वैलरी, फर्टिलाइजर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट और क्रूड ऑयल का एक्सपोर्ट किया जाता है। भारत इजरायल के सबसे बड़े बिजनेस पार्टनर्स में से एक है और दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात करीब 10 बिलियन डॉलर से भी अधिक का है।
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