Music में भी हैं कई संभावनाएं
संगीत अब केवल शौक नहीं रहा यह एक बाजार के रुप में विकसित हो गया है। तेजी से बदलते परिदृश्य में संगीत का क्षेत्र एक महत्वपूर्ण पेशा बन गया है। युवाओं में इस क्षेत्र का रुझान तेजी से बढ़ता जा रहा है। संगीत को अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए महज संगीत में रुचि रखना ही काफी नहीं है। इसके अलावा उन्हें सृजनात्मक प्रतिभा का धनी, धुन का पक्का, मेहनती, संगीत की समझ, वाद्ययंत्रों की भी जानकारी होनी चाहिये।
इसके लिए ट्रेनिंग के साथ ही ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन के अतिरिक्त सर्टिफिकेट डिप्लोमा एवं पार्ट टाइम प्रकार के कोर्स् हो सकते हैं। नामी विश्वविद्यालयों से लेकर संगीत अकादमियों तक में इस प्रकार के ट्रेनिंग कोर्सेज स्कूली बच्चों और युवाओं के लिए उपलब्ध हैं।
वर्तमान में देश-विदेश में युवाओं में म्यूजिक बैंड बनाने और परफॉर्म करने का ट्रेंड जोर पकड़ता जा रहा है। इस प्रकार के बैंडस में वोकल आर्टिस्ट (गायक) और इंस्टूमैंट्रल आर्टिस्ट (वाद्ययंत्र कलाकार) दोनों का ही समन्वयन होता है। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य छोटे स्तरों पर इस प्रकार के सैकड़ों हजारों बैंडस आज अस्तित्व में आ चुके हैं।
आम तौर पर यही माना जाता है कि संगीत को करियर का आधार बनाकर ज्यादा कुछ करने की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं पर वास्तविकता पर बात करें तो कम से कम आज के संदर्भ में स्थितियां बहुत भिन्न हैं और तमाम नए विकल्प उबरकर सामने आ रहे हैं।
म्यूजिक इंडस्ट्री : इस उद्योग में कई प्रकार के म्यूजिक आधारित प्रोफेशनलों की अहम भूमिका होती है, इनमें विशेष तौर पर म्यूजिक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर, कंपोजर, म्यूजिशियन, जैसे कार्यकलापों के अलावा म्यूजिक बुक्स की पब्लिशिंग, म्यूजिक अलबम रिकार्डिंग म्यूजिक डीलर, म्यूजिक स्टूडियो के विभिन्न विभागों इत्यादि का उल्लेख किया जा सकता है।
टेलीविजन : साउंड रिकार्डिस्ट, म्यूजिक एडिटर, प्रोडक्शन, आर जे एवं डीजे म्यूजिक लाइसेंस में ऐसे जानकार और अनुभवी लोगों की जरूरत प़ड़ती है।
स्टेज परफार्मेंस : म्यूजिक शो, टेलीविजन म्यूजिक प्रोग्राम, म्यूजिक कंपीटिशन आर्म्ड फोर्सेज बैंडज, सिंफनी आर्केस्ट्रा, डांस बैंड।
म्यूजिक थेरेपिस्ट : विकलांगता के शिकार बच्चों और लोगों के अलावा मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्तियों के उपचार में आजकल संगीत को काफी महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। इस प्रोफेशन में सफल होने के लिए संगीत, अध्यायन और थेरेपी का जानकार होना जरूरी है। इनके लिए हॉस्पीटलों, मेंटल टैम्थ सेंटरों, नर्सिंग होम्स इत्यादि में रोजगार के अवसर हो सकते हैं।
स्टूडियो टीचिंग : म्यूजिक टीचर के रूप में स्कूलों कॉलेजों और अन्य संगीत प्रशिक्षण संस्थाओं में करियर बनाने के बारे में भी सोचा जा सकता है। इनमें भी विशेषतता प्राप्त टीचर का खासा महत्व होता है। विशेषताओं में खासतौर पर म्यूजिक थ्यरी, म्यूजिक हिस्ट्री एंड लिट्रेचर, म्यूजिक एजुकेशन, म्यूजिकोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक, कंपोजिशन अथवा म्यूजिक थेरेपी की बात की जा सकता है।
इन सबके अतिरिक्त फिल्म इंडस्ट्री, चर्च म्यूजिशियन म्यूजिक लाइब्रेरियन, म्यूजिक अरेंजिंग, म्यूजिक सॉफ्टवेयर, प्रोडेक्शन म्यूजिक, वर्चुअल रिअल्टी साउंड एंवायरनमेंट इत्यादि जैसी विधाओं में भविष्य बनाया जा सकता है।
प्रसार भारती के चेयरमैन ए सूर्य प्रकाश ने ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) के लिए सभी विधाओं में संगीत के ऑडिशन के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रणाली शुरू की है। यहां आयोजित हुए 64वें आकाशवाणी संगीत सम्मेलन के मौके पर यह कदम उठाया गया।
एआईआर के अनुसार ‘‘ऐसा मानना है कि इस सुविधा के शुरू होने से आवेदन करने के इच्छुक उम्मीदवारों को पहुंच और सुविधा के रूप में बेहतर अनुभव मिलेगा।’’ एआईआर शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, लोक संगीत, जनजातीय और पश्चिम समेत संगीत की अलग-अलग शैलियों में ऑडिशन लेता है।
Tags
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!