कमाई के मामले में टीसीएस से आगे निकली Tata Motors
नई दिल्ली। टाटा ग्रुप की वाहन कंपनी टाटा मोटर्स को पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 17,583 करोड़ रुपए का कुल शुद्ध मुनाफा हुआ, जो समूह की प्रमुख कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के 12,434 करोड़ रुपए के शुद्ध मुनाफे से बहुत अधिक है। 2024 की मार्च तिमाही में टाटा मोटर्स का शुद्ध लाभ साल भर पहले के 5,573.8 करोड़ रुपए से 213.7 फीसदी बढ़ा है। टीसीएस का शुद्ध मुनाफा पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 9.1 फीसदी बढ़ा है। टाटा ग्रुप की एक और बड़ी कंपनी टाटा स्टील के चौथी तिमाही के नतीजे अभी आने बाकी हैं। टाटा ग्रुप की जिन 16 कंपनियों के नतीजे आए हैं, उनका जनवरी-मार्च 2024 का कुल शुद्ध मुनाफा साल भर पहले की तुलना में 64 फीसदी से बढ़कर 33,217 करोड़ रुपये रहा है। दस साल में यह पहला मौका है, जब टाटा मोटर्स ग्रुप की मुनाफे वाली कंपनियों में सबसे ऊपर रही है। इससे पहले वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में टाटा मोटर्स मुनाफे के मामले में सबसे आगे रही। तब कंपनी को 5,330.6 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ और टीसीएस का शुद्ध मुनाफा 5,186.60 करोड़ रुपए और टाटा स्टील का शुद्ध मुनाफा 400.60 करोड़ रुपए रहा था। चौथी तिमाही में टाटा मोटर्स के मुनाफे के बाद भी पूरे साल के हिसाब से टीसीएस ही टाटा ग्रुप की सबसे मुनाफेदार कंपनी बनी। वित्त वर्ष 2024 में टीसीएस का कुल शुद्ध मुनाफा 46,625 करोड़ रुपए रहा, जबकि टाटा मोटर्स के लिए आंकड़ा 32,078 करोड़ रहा।
टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस पिछले कुछ समय से टाटा मोटर्स में लगातार पूंजी डाल रही है, जिससे कंपनी की वित्तीय सेहत में काफी सुधार हुआ है। टाटा मोटर्स में ही टाटा संस ने सबसे ज्यादा 22,658 करोड़ रुपए का इक्विटी निवेश किया। टाटा मोटर्स मजबूत होने से टाटा संस के लिए ग्रुप के नए उपक्रमों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, ई-कॉमर्स तथा विमानन में और निवेश करना आसान हो जाएगा। 2021 में जब पूरी दुनिया में स्टील के दाम चढ़ रहे थे तब टाटा स्टील सबसे मुनाफेदार कंपनी हो गई थी। वित्त वर्ष 2022 की चार में से तीन तिमाही में टाटा स्टील का मुनाफा टीसीएस से ज्यादा रहा था। समूचे वित्त वर्ष में टाटा स्टील ने 40,238 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था, जबकि टीसीएस का मुनाफा 38,327 करोड़ ही रहा था। ऐसे एक-दो मौके छोड़ दें तो पिछले 15 साल में टीसीएस ही टाटा ग्रुप की सबसे मुनाफे वाली कंपनी रही। इसे 2003 में टाटा संस से अलग किया गया और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम लाने के बाद जुलाई 2004 में स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराया गया था। आंकड़े बताते हैं कि टाटा मोटर्स के लिए टाटा ग्रुप की सबसे मुनाफेदार कंपनी बने रहना कठिन होगा क्योंकि पिछले दशक में उसके मुनाफे में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। विश्लेषकों के अनुसार टाटा मोटर्स का अच्छा दौर पीछे छूट गया है और मुनाफे की यह रफ्तार बनाए रखना उसके लिए मुश्किल होगा।
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